राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने मुझे धोखा दिया : मनोज मैरता रीतू तोमर 

मुंबई | लेखक मनोज मैरता का कहना है कि फिल्म ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’ की कहानी उन्होंने लिखी है, लेकिन वह खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और वो भी इंडस्ट्री के नामचीन फिल्म निर्देशकों में से एक राकेश ओमप्रकाश मेहरा के हाथों। वह कहते हैं कि ‘कहानी मेरी होने के बावजूद मुझे मेरे हिस्से के क्रेडिट से महरूम रखा गया।’

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मनोज बताते हैं, “मैंने इस फिल्म की कहानी 2012 में लिखी थी। कहानी के सिलसिले में 2014 में उनसे मुलाकात हुई और 21 अप्रैल 2015 को राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने मुझे फिल्म के राइटर के तौर पर साइन किया। वह उस वक्त फिल्म ‘मिर्जिया’ की शूटिंग कर रहे थे, इसलिए मेरी कहानी अटकी रही। मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उनके स्वच्छता अभियान एवं शौचालयों को लेकर कैंपेन की वजह से हमें कहानी में थोड़े बदलाव करने पड़े।”

मनोज ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, “राकेश जी ने 21 दिसंबर 2017 को फिल्म के निर्माण की घोषणा की। इस बीच उन्होंने (राकेश) खुद से कहानी में कुछ बदलाव किए, मसलन दिल्ली की झुग्गियों के बजाय मुंबई की झुग्गियों को रखा गया। इस पर जब मैंने उनसे पूछा तो उनका जवाब था कि दिल्ली शूटिंग फ्रेंडली नहीं है। मुंबई की झुग्गियां पर्दे पर अच्छा दिखती हैं।”

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वह कहते हैं, “मुझे थोड़ा शक हुआ, लेकिन उन्होंने पूरा भरोसा दिलाया कि स्क्रिप्ट वही है। उन्होंने मुझे शूटिंग शुरू होने से ठीक एक दिन पहले स्क्रिप्ट दिखाई, जिसके कवर पर लिखा था, ‘रिटर्न बाइ राकेश ओमप्रकाश मेहरा’। मेरे एतराज पर उन्होंने कहा कि यह कहानी आपकी ही है, ये तो बस शूटिंग ड्राफ्ट है जो मैं हर फिल्म की शूटिंग के लिए बनाता हूं। मैं अगले दिन शूटिंग पर गया तो वहां कोई जानता ही नहीं था कि फिल्म का राइटर मैं हूं। सब कहते थे कि राकेश जी ने फिल्म की कहानी लिखी है।”

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बिहार के सहरसा से ताल्लुक रखने वाले मनोज कहते हैं, “इसके बाद आपसी सहमति से स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन में शिकायत दर्ज कराई, जहां एसोसिएशन ने कहा कि फिल्म में सोलो क्रेडिट मेरा रहेगा। स्क्रीनप्ले और डायलॉग में पहला नाम मेरा और दूसरा राकेश जी का रहेगा, लेकिन इसके बाद भी राकेश जी ने एसोसिएशन के आदेश को फॉलो नहीं किया। मैंने उन्हें और फिल्म के प्रोड्यूसर राजीव टंडन को लेटर भी लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।”

मनोज कहते हैं, “एक दिन मैंने देखा कि राकेश जी ने आईएमबीडी में फिल्म की डिटेलिंग की है। फिल्म के लेखकों में पहला नाम हुसैन दलाल, फिर मेरा यानी मनोज मैरता और फिर राकेश ओमप्रकाश मेहरा का नाम है। मैंने जब हुसैन दलाल के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें डायलॉग टच के लिए हायर किया गया है। उन्होंने डायलॉग पर काम किया है।”

वह कहते हैं, “आईएमबीडी में फिल्म के राइटर में पहला नाम हुसैन दलाल, फिर मेरा मनोज मैरता और राकेश का नाम है। मेरा सवाल यही है कि अगर किसी आदमी ने फिल्म में डायलॉग भी लिखे हैं और जो कास्ट में सबसे बाद में जुड़ा है तो उसका नाम क्रेडिट में सबसे पहले कैसा आएगा? इस फिल्म का प्रिंसिपल राइटर तो मैं हूं। इसलिए मैंने उन्हें लीगल नोटिस भेजा। एसडब्लयूए ने मुझे कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा।”

राकेश ओमप्रकाश के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के बारे में पूछने पर मनोज कहते हैं, “मैंने 26 नवंबर को मुंबई हाईकोर्ट में राकेश जी के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। राकेश जी कहते हैं कि उन्हें इस स्टोरी का आइडिया गांधी जी के स्वच्छता आंदोलन से आया तो मुझे क्यों हायर किया गया? उनके पास कहानी थी तो वे प्रसून जोशी, गुलजार या कमलेश पांडे को हायर कर सकते थे। मुझे क्यों किया?”

वह कहते हैं, “अगर आप फिल्म के ट्रेलर में भी देखें तो राइटर्स में हुसैन दलाल, मनोज मैरता, राकेश ओमप्रकाश मेहरा का नाम लिखा है लेकिन स्क्रीनप्ले राइटर का जिक्र तक नहीं है। इन्होंने बहुत बड़ी चालाकी की। करार के मुताबिक, स्क्रीन राइटर के तौर पर मेरा नाम दिया जाना चाहिए था। क्योंकि फिल्म की अधिकांश स्क्रीनप्ले मैंने ही लिखा है।”

फिल्म इंडस्ट्री में कहानियां चुराए जाने के सवाल पर मनोज कहते हैं, “राइटर्स की कहानियां चोरी होने के किस्से सुने और देखे थे लेकिन कभी नहीं सोचा था कि एक दिन हम भी इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार होंगे। एक ऐसा निर्देशक जिसने ‘रंग दे बसंती’ जैसी देशभक्ति से ओत-प्रोत फिल्म बनाई, जिसने फिल्म में भ्रष्टाचार और बुराई से लड़ने की बड़ी-बड़ी बातें की थी, वह इस पर थोड़ा खुद तो अमल करते।”

कोर्ट केस के बारे में वह कहते हैं कि ऐसे कई मामले हुए हैं, जिनमें प्रोड्यूसर-डाइरेक्टर्स को झुकना पड़ा है। केस वापस लेना पड़ा है या कोर्ट से बाहर मामला सुलझाना पड़ा है। कुणाल कोहली, संजय लीला भंसाली, महेश भट्ट कई उदाहरण हैं। क्रेजी 4 के लिए राम संपत और राकेश रोशन का केस कोई नहीं भूला होगा।

मनोज कहते हैं, “मुझसे सब कहते थे कि तुम बहुत बड़े डायरेक्टर से पंगा मोल ले रहे हो। तुम्हारा करियर शुरू होने से पहले ही बर्बाद हो जाएगा। तुम अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हो, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। मैं अपना हक मरते नहीं देख सकता था। अगर अच्छी कहानियां लिखूंगा तो जरूर काम मिलेगा। राजकुमार हिरानी जी का फोन आया था काम के सिलसिले में तो मैं नकारात्मक चीजें नहीं सोचता।”

मनोज लेखकों के समक्ष क्रेडिट संबंधी दिक्कतों का जिक्र करते हुए कहते हैं, “कॉपीराइट एक्ट 2012 में खामियां हैं। लोग शुरू से ही क्रेडिट को लेकर जागरूक नहीं है। जिस तरह से हॉलीवुड में क्रेडिट को लेकर बकायदा नियम है, ठीक उसी तरह यहां भी ऐसा ही होना चाहिए। नियमों के हिसाब से चौथे नंबर पर राइटर को क्रेडिट मिलना होता है, लेकिन यहां तो पोस्टर पर भी राइटर का नाम नहीं दिखता। राइटर्स को तवज्जो ही नहीं मिलती।”

‘दबंग’ और ‘जय हो’ जैसी फिल्मों के को-राइटर रह चुके मनोज का कहना है कि वे शुरू से ही निर्देशक बनना चाहते थे। उनका कहना है कि वे मानते हैं कि मैं अच्छा राइटर हूं तो अच्छा निर्देशक बनने में आसानी होगी।

राकेश ओमप्रकाश मेहरा के साथ भविष्य में काम करने के सवाल पर वह कहते हैं कि वह भविष्य में कभी भी राकेश जी के साथ काम नहीं करेंगे, जिसकी सोच इतनी घटिया हो।

वह कहते हैं, “जब उन्होंने साल 2008 में ‘रंग दे बसंती’ देखी तो वह राकेश जी के प्रशंसक हो गए थे और आठ सालों तक उनकी फिल्म के गाने मोहे रंग तक बसंती को अपने फोन की कॉलरट्यून बनाकर रखा था। मुझे नहीं पता था कि वह इतनी छोटी सोच के शख्स होंगे।”

इस मुद्दे पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा का पक्ष जानने की कोशिश की जा रही है।

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