यूपी बोर्ड के नए पाठ्यक्रम पर सरकार की मुहर, दिसंबर तक नई किताबें होंगी मुहैया

यूपी बोर्डइलाहाबाद। यूपी बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड के बीच पाठ्यक्रम का फासला खत्म हो गया है। बोर्ड ने जुलाई व अगस्त में पाठ्यचर्या समितियों की लगातार बैठकें कराकर पाठ्यक्रम में अपेक्षित बदलाव कर दिया है। बोर्ड प्रशासन नए पाठ्यक्रम के अनुमोदन के लिए सभापति व माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजेगा। मंगलवार को शासन स्तर पर इस संबंध में बैठक होगी, वहां से मंजूरी मिलने के बाद पाठ्यक्रम एनसीआरटी को भेजा जाएगा। एनसीईआरटी की मुहर लगने के बाद बोर्ड की बैठक में अनुमोदन कराकर उसे लागू कराया जाएगा।

माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई का पाठ्यक्रम समान करने के निर्देश हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार के निर्देश पर बोर्ड ने पहले तीन से 14 जुलाई तक 33 पाठ्यक्रम समितियों की बैठक बुलाकर तमाम बदलाव कराए। हाईस्कूल स्तर (कक्षा नौ व 10) व इंटरमीडिएट स्तर (कक्षा 11 व 12) में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी व कई अन्य विषयों की पढ़ाई पहले से ही दोनों जगह (यूपी बोर्ड व सीबीएसई) लगभग एक जैसी है। करीब 20 प्रतिशत पाठ्यक्रम का जो फासला रहा है, उसे भी समान कर दिया गया है।

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हाईस्कूल व इंटर के अहम विषयों को एक करने का कार्य इधर तीन दिनों में पूरा हो गया है। दूसरे चरण में सामाजिक विज्ञान, इतिहास, भूगोल, संगीत, गायन, कृषि और देश की विभिन्न भाषाएं बांग्ला, उड़िया आदि पर चर्चा हो चुकी है। इसके लिए यूपी बोर्ड ने बीते तीन अगस्त से कार्य शुरू किया। वैसे बोर्ड बहुत बदलाव करने के पक्ष में नहीं था। अफसरों का मानना है कि स्थानीय महापुरुष व संस्कृति की जानकारी हर छात्र-छात्र को बेहतर तरीके से होनी ही चाहिए, फिर भी हर बिंदु पर मंथन किया गया।

पहले यह तैयारी थी कि पाठ्यचर्या समिति और फिर यूपी बोर्ड इन बदलावों पर मुहर लगाएगा, तब उसे शासन के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद एनसीईआरटी के समक्ष भेजेगा और वहां से मुहर लगने के बाद ही पाठ्यक्रम अधिकृत होगा, लेकिन अब सभापति व शासन की रजामंदी के बाद एनसीईआरटी से मुहर लगने के बाद बोर्ड की बैठक में उसे लागू करने की मंजूरी दी जाएगी।

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दिसंबर तक नई किताबें होंगी मुहैया

यूपी बोर्ड में सीबीएसई का पाठ्यक्रम लागू होने के बाद सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि छात्र-छात्रओं को किताबों के लिए इंतजार नहीं करना होगा। तैयारी है कि इस साल दिसंबर तक किताबें बाजार में आ जाएंगी। यह काम एनसीईआरटी के अनुमोदन के तत्काल बाद शुरू होगा।

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