मोदी पर युद्ध का इल्जाम लगा बैठे चिदंबरम,अब आगे क्या रणनीति अपनाएंगे पीएम

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम फिलहाल चुनावी हलचल से दूर हैं। वे राज्यसभा सदस्य हैं। और उनके बेटे कार्ति के चुनाव क्षेत्र शिवगंगा में मतदान हो चुका है। फिर भी कांग्रेस के चुनाव अभियान में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। गरीबों के लिए 72 हजार रुपये सालाना अनुदान वाली ‘न्याय’ योजना का खाका और कांग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र उन्होंने ही बनाया है। अमर उजाला से बातचीत करते समय वे घोषणापत्र सहित कई कागजात लेकर बैठे। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम से शरद गुप्ता और अनूप बाजपेयी की विशेष बातचीत-

चिदंबरम

मरे विचार से 23 मई को हमें एक गैर-भाजपा सरकार मिलेगी। मैं संख्या के बारे में नहीं बोलूंगा, लेकिन इतना दावा है कि गैर-भाजपा दलों को बहुमत से कहीं ज्यादा सांसद मिलेंगे।

लेकिन मोदी सरकार के प्रदर्शन पर जमीनी स्तर पर अच्छा मत है?
यह आपका अनुभव हो सकता है। लेकिन सच यह है कि एनडीए सरकार का प्रदर्शन बहुत खराब था। वह जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रहा है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री अपने भाषणों में न तो रोजगार की बात करते हैं, न ही किसानों की समस्याओं या कर्ज की, न निवेश या आर्थिक प्रगति की। ध्रुवीकरण और माओवाद बढ़ा है। जमीनी स्तर से क्या अर्थ है? क्या दक्षिण भारत, पश्चिमी भारत, पूर्वी भारत और उत्तर पूर्व जमीन नहीं है? क्या केवल हिंदी पट्टी को ही जमीनी स्तर का दर्जा प्राप्त है? सच्चाई यही है कि प्रधानमंत्री के भाषणों का जमीनी स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। वे सिर्फ अतिशयोक्ति, गाली-गलौज और नितांत झूठ का प्रचार कर रहे हैं।

कोई उदाहरण? 
जैसे सर्जिकल स्ट्राइक पर उन्होंने कहा कि पहली बार उनके नेतृत्व में की गई, जबकि हमने अपने शासन की सर्जिकल स्ट्राइक की तारीख, समय सब बता दिए।

1960 से बंगाल की कुर्सी अनेक दिग्गजों ने संभाली, लेकिन नहीं बदला तो खूनी खेल

लेकिन सेना ने आरटीआई में कहा.. सेना ने ऐसा कहीं नहीं कहा। आप मुझे दिखा सकते हैं क्या? 
मंत्रालय जो चाहे कह सकता है, लेकिन सेना कभी असत्य नहीं बोलती। जनरल डीएस हुड्डा व पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल विक्रम सिंह ने कहा है कि सेना ने पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक की हैं। वे कहते हैं कि उनके शासनकाल में कोई धमाके नहीं हुए, हकीकत में तो बहुत से धमाके हुए हैं। कांग्रेस पार्टी के पास तारीखवार पूरी सूची है। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा, दंतेवाड़ा में 9 अप्रैल 2019 में एक भाजपा विधायक सहित पांच लोग मारे गए, 1 अप्रैल 2019 गढ़चिरौली में 15 लोग मारे गए। कितना झूठ बोलते हैं ये लोग।

राजनीतिक विमर्श इतने निचले स्तर पर कैसे चला गया है? कोई चोर कह रहा है, कोई नीच तो कोई बलात्कारी। 
सबसे पहले चोर शब्द का इस्तेमाल किसने किया? वीपी सिंह और उनके सहयोगियों ने बोफोर्स मामले को लेकर राजीव गांधी को चोर कहा था। नारे लगाए थे-गली गली में शोर है, जबकि बोफोर्स की सच्चाई क्या है? राजीव के खिलाफ सभी आरोप हाईकोर्ट ने खारिज कर दिए थे। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी उन्हें भ्रष्टाचारी नंबर वन कहते हैं। मुझे शर्म आती है कि मोदी 28 साल पहले शहीद हुए पीएम का नाम चुनाव प्रचार में इस तरह घसीटते हैं।

लेकिन मोदीजी के खिलाफ भी तो ऐसी ही भाषा का इस्तेमाल हो रहा है? 
राफेल में मोदीजी के खिलाफ आरोप  निराधार नहीं हैं। वे जांच क्यों नहीं करा रहे?

सीएजी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सभी जगह उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है? 
सीएजी ने कोई क्लीन चिट नहीं दी है। इस रिपोर्ट में आखिरी दो सारिणी खाली क्यों छोड़ी गई हैं, आंकड़े क्यों नहीं दिए गए हैं, तो क्लीन चिट कहां हुई? इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि वह विमान की कीमत पर कोई फैसला नहीं देगा, इस पर बात नहीं करेंगे कि 126 की जगह 36 विमान क्यों लिए गए और ऑफसेट पार्टनर की चयन प्रक्रिया पर सुनवाई नहीं की। हमारी मांग इन 3 सवालों की जांच की थी।

आज का राशिफल, 15 मई 2019, दिन- बुधवार

आपने इसके बारे में चुनाव आयोग से शिकायत क्यों नहीं की?  
हमने जितनी भी बार किसी भी मुद्दे पर आयोग से शिकायत की, हमारी शिकायत खारिज कर दी गई। चुनाव आयोग ने अपनी विश्वसनीयता ही खो दी है।

राहुल और प्रियंका गांधी के परिवार पर कई तरह के मुकदमे हैं? 
प्रधानमंत्री को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड का पता नहीं है। इसके तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ केस होने पर उसे अदालत के सामने पेश होकर जमानत लेनी होती है। यही कानून है। यदि आप किसी के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करते हैं तो वह क्या करे? जमानत न ले और जेल चला जाए? इन मामलों में अभी चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।

आपके परिवार की भी कई जांच चल रही हैं, मुकदमे चल रहे हैं। 
मैं उन पर चर्चा नहीं करता। मुझे उनकी चिंता नहीं है, आपको भी नहीं करनी चाहिए।

मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस धमाके, सोहराबुद्दीन मुठभेड़ आदि मामलों में आरोपियों को क्लीन चिट मिल चुकी है। क्या आपके केस कमजोर थे? 
और आपको इस सरकार से क्या अपेक्षा है? सभी एजेंसियां उनके इशारे पर चल रही हंै। आप एजेंसियों से पूछें कि केस खारिज क्यों हो गया। उन्हें अपील की इजाजत क्यों नहीं दी गई।

आपकी सीट पर बेटे कार्ति चुनाव लड़े, क्या आपने चुनावी राजनीति छोड़ दी? 
मैंने सात लोकसभा चुनाव जीते, अब समय है कि अगली पीढ़ी के लिए रास्ता खाली करूं।

क्या आप इस बात का समर्थन करते हैं कि उम्रदराज नेताओं को सक्रिय राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए? 
किसी को राजनीति से रिटायर किए जाने की जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों के लिए विधान परिषद, राज्य सभा जैसी जगहें हैं। यदि वे स्वस्थ हैं तो उनका इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है।

प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी 
यह लोकतंत्र पर जबरदस्त कुठाराघात है। कोई भी चुनाव लड़ सकता है और जब तक आरोप सिद्ध न हों, दोषी करार नहीं दिया जा सकता। दोनों बातें ठीक हैं। लेकिन क्या इसका अर्थ है कि बीजेपी को दिग्विजय सिंह के खिलाफ आतंक की आरोपी के अलावा कोई और उम्मीदवार महीं मिला।

पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बालाकोट जैसे हमले के आदेश यूपीए ने क्यों नहीं दिए? 
क्योंकि हम दोनों देशों के बीच तनाव कम करना चाहते थे। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करके रखा और शांति बहाल कराई। मोदी जी युद्ध जैसी परिस्थितियां बनाएं रखना चाहते हैं, जिसका राजनीतिक इस्तेमाल किया जा सके। कांग्रेस युद्ध से नहीं डरती। देश ने तीन युद्ध जीते और हर बार कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में।

चुनाव के लिए फंडिंग जुटाने के मौजूदा तरीकों पर आपको क्या कहना है? 
मौजूदा तरीका यानी चुनावी बांड एक बड़ा फर्जीवाड़ा है। इसे सत्ताधारी दल द्वारा 95% प्रतिशत फंडिंग खुद वसूल करने के लिए लाया गया है। यह लेवल प्लेइंग फील्ड खत्म कर रहा है। हम सत्ता में आते ही इसे खत्म कर देंगे। पीएम मोदी की हर रैली पर दस करोड़ खर्च हो रहे हैं। मुझे नहीं मालूम कि पैसा कहां से आ रहा है।

कांग्रेस न्याय को बड़ा मुद्दा बनाना चाहती थी पर, जमीनी स्तर पर इसकी चर्चा नहीं हो रही, कमी कहां रह गई? 
जहां कांग्रेस पार्टी का संगठन कमजोर था, वहां हम लोगों को इसके बारे में बताने में नाकामयाब रहे हैं। लेकिन तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों के परिणाम बता देंगे कि न्याय का लोगों पर क्या असर रहा।

क्या प्रियंका का और बेहतर इस्तेमाल हो सकता था? 
चुनाव कांग्रेस पार्टी लड़ रही है। प्रियंकाजी प्रचार में ऊर्जा लाई हैं। कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है। उनके कैसे और कब इस्तेमाल करना है यह पार्टी का शीर्ष नेतृत्व करता है। मैं इस पर कोई कमेंट नहीं कर सकता हूं।

क्या एक परिवार से एक ही व्यक्ति को चुनाव लड़ना चाहिए?
यह तय करने वाले हम और आप कौन हैं। पार्टियां केवल जिताऊ उम्मीदवार को उतारती हैं। लोकतंत्र में चुनने का अधिकार केवल जनता के पास है। यदि उन्हें ठीक नहीं लगता है तो वह खारिज कर देती है। केवल राजनीतिज्ञों को हर पांच साल बाद जनता के सामने परीक्षा देनी होती है। यह किसी और प्रोफेशन में नहीं होता है।

LIVE TV