किसकी होगी कुर्सी ? मोदी या राहुल पढ़ें पूरी खबर…

लोकसभा चुनाव 2019 खत्म होते-होते शब्दों ने अपने अर्थ खो दिए. अब केवल छवियां बची हैं. एसयूवी कारों से झांकते नेताओं की तस्वीरें, विशाल रैलियों में हाथ लहराते मोदी, कुछ ऐसी ही नकल करने की कोशिश करते अमित शाह, कुर्ते की आस्तीन मोड़ते राहुल गांधी और ममता बनर्जी की जोशीली मुद्राएं.

मोदी या राहुल

लेकिन कैमरामैन के लेंस इससे कुछ इतर ढूंढ़ रहे हैं. कोलाहल के बीते कुछ पल, करीने से दिए गए पोज, अभ्यास किए गए जेस्चर. यही नहीं कैमरा पर्दे के पीछे भी जाता है, बैकरूम की तस्वीरें लेता है, उन पलों को कैद करता है जब नेता तन्हाई में होते हैं, बिना सुरक्षा के, स्वत:स्फूर्त बाइट रिकॉर्ड करता है और राजनेता के अंदर छिपे इंसान को टटोलने की कोशिश करता है.

कैमरे का लेंस शब्दों में कही गई चीजों को छानकर परोसने की कोशिश करता है, इसलिए फोटोग्राफर को कभी-कभी वो परिदृश्य नजर आता है जो पॉपुलर नैरेटिव के उलट होता है. आप बड़े पोस्टरों के पीछे से चीजें देखते हैं, शब्दों को सुनकर देखने जैसा एहसास करते हैं, शरीर की भाव-भंगिमा और भाषा से.

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तीन दिनों में मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की कई तस्वीरें ली. तस्वीरें लेते हुए इन दोनों नेताओं के नजदीक जाने का जो वक्त मिला, उनके साथ इस दौरान वक्त गुजारा इससे मैं बेहद नजदीकी से उन्हें पढ़ सका, जान सका, मैं एसपीजी की लक्ष्मण रेखा को तोड़ अंदर जा सका, यहां जो मैंने देखा वो चौंकाने वाला और कई संदेश देने वाला था.

25 अप्रैल को वाराणसी में पीएम मोदी के शानदार रोड शो के एक दिन बाद मुझे उनकी तस्वीरें लेने का मौका मिला. अस्सी घाट पर वे आजतक के एंकरों को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दे रहे थे. इस दौरान एक क्रूज पर गंगा नदी में सैर करते हुए उन्होंने आजतक से भी बात की.

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