इस महीने दो त्योहारों का एक ही दिन मनाने का बन रहा है योग, जानें क्या हैं वह त्योहार
आज का दिन कई मायनों में अच्छा माना जा रहा है क्योंकि आज दो त्योहारों का संगम होने वाला है। हर महीने यह त्योहार अलग-अलग तारीखों में मनाए जाते हैं। लेकिन इस साल फरवरी में ये त्योहार आज के दिन ही मनाए जा रहे हैं। तो चलिए वह कौन से दो त्योहार हैं जो आद के दिन मनाए जा रहे हैं।
क्या है प्रदोष व्रत?
प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते है। प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में भगवान शिव कि पूजा की जाती है।
हिन्दू धर्म में व्रत, पूजा-पाठ, उपवास आदि को काफी महत्व दी गयी है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर व्यक्ति को मनचाहे वस्तु की प्राप्ति होती है। वैसे तो हिन्दू धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास होते हैं लेकिन लेकिन इन सब में प्रदोष व्रत की बहुत मान्यता है।
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प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत को हिन्दू धर्म में बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों के दान जितना होता है।
इस व्रत के महत्व को वेदों के महाज्ञानी सूतजी ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था। उन्होंने कहा था कि कलयुग में जब अधर्म का बोलबाला रहेगा, लोग धर्म के रास्ते को छोड़ अन्याय की राह पर जा रहे होंगे उस समय प्रदोष व्रत एक माध्यम बनेगा जिसके द्वारा वो शिव की अराधना कर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकेगा और अपने सारे कष्टों को दूर कर सकेगा। सबसे पहले इस व्रत के महत्व के बारे में भगवान शिव ने माता सती को बताया था, उसके बाद सूत जी को इस व्रत के बारे में महर्षि वेदव्यास जी ने सुनाया, जिसके बाद सूत जी ने इस व्रत की महिमा के बारे में शौनकादि ऋषियों को बताया था।
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मासिक शिवरात्रि
शिव आराधकों के लिए महाशिवरात्रि का बड़ा महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि को ही भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पहली बार शिवलिंग का पूजन किया गया था। परंतु एक वर्ष में एक महाशिवरात्रि और 11 शिवरात्रियां पड़ती हैं, जिन्हें मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे।