माघ मेला 2020: माघ मेले में लगा अनोखा भंडारा, हर दिन लाखों श्रद्धालुओ का भरता है पेट

रिपोर्ट : सैय्यद रजा/प्रयागराज  

आज हम आपको संगम तट पर लगे सबसे बड़े धार्मिक माघ मेले से जुड़ी एक खास खबर दिखाने जा रहे है । एक ऐसी खबर जिसकी 32 साल की लगातार मेहनत की वजह से अबतक करोड़ो श्रद्धालुओं ने दुआए दी है। हर साल की तरह इस साल के माघ मेला क्षेत्र में ‘ॐ नमः शिवाय’ संस्था गरीबों और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मसीहा बनकर काम करती नजर आ रही है।

अनोखा भंडार

24 घंटे मिलता है निःशुल्क भोजन-

दरअसल संस्था द्वारा पूरे मेला क्षेत्र में 24 घण्टे भंडारे का आयोजन किया जा रहा है. इस संस्था में 300 से अधिक शिष्य श्रद्धा भाव से कार्य कर दिन भर में लाखो लोग जो भूखे, गरीब और मजदूर का पेट भरने का काम करते हैं।  संस्था में पुरुषों के साथ ही महिलाएं भी पूरे भाव के साथ काम करती हैं. 24 घंटे निशुल्क भोजन की व्यवस्था की वजह से श्रद्धालु इसे सच्ची मानवता और पुण्य का काम बता रहे है।

मेले क्षेत्र में कई जगह लम्बी लम्बी कतारों में बैठकर श्रद्धालुओ को भर पेट भोजन खिलाया जा रहा है। संस्था से जुड़े महंत का कहना है की हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है कि माघ मेले में न ही कोई भूखा जाने पाए और न ही कोई श्रद्धालु भूख की वजह से रोने पाए. इसी संकल्प के साथ माघ मेले में भंडारे का आयोजन 24 घंटे किया जाता है। हर दिन अलग-अलग पकवान तैयार किए जाते हैं, जिसमें दाल कढ़ी, पूड़ी-सब्जी, खीर-पूड़ी, तहरी, सब्जी-रोटी, हलुआ-पूड़ी आदि शामिल है।

सुबह सुबह मिलता है नाश्ता-

सुबह श्रद्धालुओं के लिए नाश्ते का आयोजन किया जाता है. दोपहर से रात तक भोजन का आयोजन किया जाता है. एक बार में 25 हजार श्रद्धालुओं के लिए खाना बनाया जाता है. इसके लिए बड़े-बड़े कड़ाव का इंतजाम किया गया है. एक कड़वा में 10 से 12 हजार लोगों के लिए सब्जी तैयार किया जाता है. इसके साथ ही अलग-अलग खाने की सामग्री भी तैयार की जाती है।

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महंत का कहना है कि ॐ नमः शिवाय हर हफ्ते लखनऊ,कानपुर और प्रयागराज में साल भर तक धार्मिक शिविर या कहे कि समागम का आयोजन होता है और समागम में आने वाले भक्त साल भर तक अनाज दान करते है और वही अनाज साल भर में इतना हो जाता है कि माघ मेले में भंडारे का आयोजन किया जा सके। पूरे साल भर भंडारे के लिए अनाज को स्टोर किया जाता है और माघ या कुम्भ के समय विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।

भंडारे का भोजन खाने के बाद संगम की रेती पर आए श्रद्धालु इस नेक काम की जमकर तारीफ कर रहे है। गौरतलब है कि एक तरफ जहां महगाई आम आदमी की कमर तोड़ के रखी वही ये संस्था एक मिसाल बनी हुई है।

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