टीपू सुल्तान की वह गद्दार वंशज जिसने अंगेजों के लिए हिटलर को दिया धोखा, मिली दर्दनाक मौत

महिला जासूसलखनऊ : आपने अलग-अलग देशों के जासूसों और उनके जासूसी किस्सों के बारों में खूब सुना होगा. लेकिन आज हम आपको अपने देश की ऐसी महिला जासूस के बारे बताते है जिसने अंग्रेजो के लिए जासूसी करते हुए जर्मनी में अपनी जान दे दी. इस जासूस का नाम नूर इनायत ख़ान था. नूर, मैसूर के महाराजा टीपू सुल्तान की वंशज थी.

नूर का जन्म 1914 में मॉस्को में हुआ. लेकिन उनकी परवरिश फ्रांस में हुई. नूर का परिवार दूसरे विश्व युद्ध के समय से ही पेरिस में रहता था. लेकिन जर्मनी के हमले के बाद उन लोगों ने देश छोड़ने का फैसला किया.

उस हमले के बाद नूर एक वालंटियर के तौर पर ब्रितानी सेना में शामिल हो गईं. वह उस देश की मदद करना चाहती थी, जिसने उन्हें अपनाया था. उनका मकसद फासीवाद से लड़ना था. नूर साल 1940 में एयरफोर्स की सहायक महिला यूनिट में भर्ती हुई.

फ्रेंच बोलने में उनकी महारत ने स्पेशल ऑपरेशन एग्जिक्यूटिव के सदस्यों का ध्यान अपनी ओर खींचा. इस गुप्त संगठन को ब्रितानी प्रधानमंत्री चर्चिल ने बनाया था. जिसका काम नाज़ी विस्तारवाद के दौरान यूरोप में छापामार कार्रवाई को बढ़ावा देना था.

जासूसी की शुरुवात-

महिला जासूसमहज तीन साल के भीतर 1943 में नूर ब्रितानी सेना की एक सीक्रेट एजेंट बन गईं. नूर को एक रेडियो ऑपरेटर के तौर पर ट्रेन किया गया और जून 1943 में उन्हें फ्रांस भेज दिया गया.

फ्रांस भेजे जाने के कुछ महीनो बाद नूर के साथ काम कर रहे दूसरे एजेंट्स ही पहचान कर ली गई. उनमें से ज्यादातर गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन नूर फरार होने में कामयाब रही. लेकिन जर्मन पुलिस ने अक्टूबर 1943 में नूर को उनके अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया.

जर्मन एजेंट्स ने ब्रितानी ऑपरेशन के बारे में जानकारी निकलवाने के लिए नूर को बहुत प्रताड़ित किया. गिरफ्तारी के वक़्त नूर अपने नोटबुक्स नष्ट नहीं कर पाई थीं और इससे मिली जानकारी के आधार पर जर्मनों ने कुछ ब्रितानी एजेंटों को गिरफ्तार भी कर लिया.

कैदी के रूप में एक साल गुजारने के बाद उन्हें दक्षिणी जर्मनी के एक यातना शिविर में भेज दिया गया जहां उन्हें नए सिरे से प्रताड़ित किया गया. बाद में नाज़ियों ने उन्हें तीन अन्य महिला जासूसों के साथ गोली मार दी. मौत के वक्त उनकी उम्र महज 30 साल थी.

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