एक ऐसा रोग जो महिलाओं की खूबसूरती की चमक को बिगाड़ देती है, जानें कारण

सुंदर त्चचा और कसा हुआ बदन हर किसी की चाहत होती है। खासकर किसी भी महिला को सुंदर दिखने के लिये त्वचा का खिला होना और शरीर पर अनावश्यक मोटापा न होना बेहद आवश्यक माना जाता है जिसके लिये महिलाएं अपनी ओर से अनेक प्रकार के प्रयास भी करती हैं। किंतु सेल्युलाईट उनकी इस चाहत को पूरा नहीं होने देता। त्वचा को बेजान और रूखी बनाने के साथ ही सेल्युलाईट वसा की गांठे बनाता है जो अतिरिक्त मोटापे की तरह दिखती हैं। इसके कारण शरीर बेडौल दिखाई देता है। वैसे तो यह समस्या पुरुषों में भी हो सकती है किंतु महिलाएं इस रोग का शिकार आसानी से बन जाती हैं।

सेल्युलाईट

एक शोध के अनुसार लगभग 85 प्रतिशत महिलाएं कभी न कभी इस समस्या का सामना करती हैं। यौवनावस्था की शुरूआत के साथ ही बढ़ने वाला यह रोग किसी भी आयु या वर्ग की महिला के शारीरिक सौंदर्य को प्रभावित कर सकता है। आईये सेल्युलाईट और उसके कारण होने वाली परेशानियों, सेल्युलाईट के उपचार के बारे में.

क्या है सेल्युलाईट का रोग

अक्सर लोग सेल्युलाईट को शरीर पर हावी होने वाला मोटापा मानते हैं। लेकिन यह फैट नहीं बल्कि त्वचा के अंदर बनी वसा की अतिरिक्त परत होती है। इससे त्वचा हल्की सूजी हुई और नारंगी रंग की लगती है। हालांकि सेल्युलाईट शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान तो नहीं पहुंचाता लेकिन यह त्वचा को कठोर बनाने के साथ शरीर को बेडौल बना देता है। महिलाओं में फैट सेल्स अधिक होने के कारण सेल्युलाईट आसानी से उनपर हावी हो जाता है। वैसे तो सेल्युलाईट पतली से लेकर मोटी महिलाओं तक में मौजूद होता है लेकिन अधिक वजनी महिलाओं में इसका प्रभाव जल्दी दिखाई देने लगता है।

इसके कारण त्वचा सिकुड़ने लगती है और कई बार त्वचा पर गड्ढे या झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं। महिलाओं में सेल्युलाईट का प्रभाव कूल्हे के नीचे के अंगों, पैर, गला और पेट पर दिखाई देता है। जिसके कारण यह अंग मोटे और यहां की त्वचा बेजान दिखने लगती है। जाहिर है कि यह प्रभाव महिलाओं के सौंदर्य को प्रभावित करता है।

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सेल्युलाईट बढ़ने के प्रमुख कारण

सेल्युलाईट के बढ़ने के अनेक कारण होते हैं। किंतु इनमे सबसे प्रमुख कारण आधुनिक जीवनशैली, असंयमित भोजन, अतिरिक्त वजन और हार्मोन्स में वृद्धि होना है। भागदौड़ भरी जिंदगी में हम व्यायाम करने के लिये समय नहीं निकालते जिसके कारण शरीर में कैलौरी बर्न नहीं होती और अतिरिक्त वसा का जमाव हो जाता है। व्यायाम या शारीरिक श्रम वाले कार्यों से दूरी बनाये रखने के कारण मोटापा भी शरीर पर हावी हो जाता है जो सेल्युलाईट को बढ़ावा देता है। अधिक समय तक खड़े होकर या बैठकर कार्य करने से भी यह रोग बढ़ता है। अधिक तला-भूना, फास्ट और जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक का अधिक सेवन करना, शराब और सिगरेट का शौक रखना भी सेल्युलाईट बढ़ने की प्रमुख वजहें हैं।

इनके कारण शरीर में विषाक्त तत्व जमा होने लगते हैं जो सेल्युलाईट को बढ़ावा देते हैं। शरीर के हार्मोंन्स में बदलाव के कारण भी यह समस्या बढ़ जाती है। वहीं तनाव और आनुवांशिकता के कारण भी सेल्युलाइट शरीर पर हावी होने लगता है। वहीं बहुत ज्यादा कसे हुए कपडे पहनने से भी रक्त संचरण प्रभावित होता है जिससे सेल्युलाईट का प्रभाव दिखने लगता है।

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प्राकृतिक उपायों से करें सेल्युलाईट का उपचार

वैसे तो बाजार में सेल्युलाईट का उपचार करने का दावा करने वाली अनेक दवाएं मौजूद हैं। किंतु इन दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण शरीर में अन्य रोग हो सकते हैं। ऐसे में बेहतर है कि आप सेल्युलाईट को शरीर से दूर रखने के लिये चिकित्सक से परामर्श लेकर आयुर्वेदिक दवाओं का ही सेवन करें। आयुर्वेदिक दवाओं से शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता और यह सेल्युलाईट की समस्या को जड़ से खत्म कर देती हैं। वहीं नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती है जिसके कारण सेल्युलाईट का शरीर पर हावी होने का अवसर नहीं मिलता। व्यायाम करने से शरीर के टिश्यूओं में रक्त संचरण तेजी के साथ होता है और पसीने के साथ ही शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

सूखी मालिश से भी त्वचा पर जमी गंदगी को दूर किया जा सकता है। अपनी भोजन शैली में बदलाव करते हुए फास्ट फूड, जंक फूड, अधिक तला-भूना भोजन, सिगरेट, शराब आदि से दूरी बनायें। पौष्टिक आहार जिसमे फल और सब्जियां भी शामिल हों उसे अपनी दैनिक भोजन में शामिल करें। चीनी से बनने वाला इंसुलिन शरीर में चर्बी जमा करने के साथ सेल्युलाईट भी बनाता है इसलिये चीनी का सेवन कम करें। संतृप्त वसा (सैचुरेटिड फैट) युक्त भोजन करने से परहेज करें क्योंकि यह धमनियों को अवरुद्ध करने के साथ टिश्युओं में फंस जाता है जिसके विषैक्त पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते। वहीं प्रोटीन सेल्युलाईट की मात्रा को घटाता है इसलिये प्रोटीनयुक्त पदार्थ जैसे। फलीदार सब्जियां, दालें, अंडा, कम बसा युक्त डेरी उत्पाद, जैसे दूध दही आदि का सेवन अधिक करनें।

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विटामिन डी भी है सेल्युलाईट रोकने में मददगार

सेल्युलाईट की रोकथाम करने में विटामिन भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के लिये बेहद आवश्यक विटामिन डी की कमी के कारण शरीर अनेक प्रकार के रोगों का शिकार बन जाता है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण, हड्डियों और कोशिकाओं के विकास, पाचन शक्ति, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के साथ ही शरीर पर आयी सूजन को दूर करने का कार्य करता है। वसा में घुलनशील होने के कारण विटामिन डी वसा में आसानी से समाहित हो जाता है और शरीर में अतिरिक्त वसा का जमाव नहीं होने देता।

जिसके कारण सेल्युलाईट के शरीर पर हावी होने की संभावना कम हो जाती है। वहीं विटामिन डी त्वचा में कसावट बनाये रखने के साथ उसे सुंदर और खिला-खिला बनाये रखने में भी सहायक है। अत: सेल्युलाईट को शरीर से दूर रखने के लिये विटामिन डी की उचित मात्रा बनाये रखना बेहद आवश्यक है।

 

 

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