
उत्तर प्रदेश विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की स्थिति पर जोरदार हमला बोला। समाजवादी पार्टी के विधायकों ने आरोप लगाया कि परिषदीय स्कूलों में करीब 1.5 लाख शिक्षकों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। साथ ही, शिक्षकों पर पढ़ाई के अलावा चुनाव ड्यूटी, जनगणना, मिड-डे मील संचालन और अन्य गैर-शैक्षणिक कार्य थोपे जा रहे हैं।
सपा विधायक सचिन यादव ने सदन में कहा कि वर्तमान में स्कूलों में 1.5 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं। हर साल औसतन 12 हजार शिक्षक रिटायर हो रहे हैं, लेकिन पिछले छह वर्षों से कोई नई भर्ती नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षण लागू करने से बचने के लिए जानबूझकर भर्ती प्रक्रिया रोकी जा रही है। शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी, एसआईआर रिपोर्टिंग, मिड-डे मील चलाने और हर संकट की स्थिति में लगाया जा रहा है, जिससे मुख्य कार्य यानी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
विपक्ष ने अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई न होने और स्कूलों में संसाधनों की कमी पर भी सवाल उठाए। जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि कोई स्कूल बंद नहीं किया गया, बल्कि कम नामांकन वाले स्कूलों को मर्ज कर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इससे छात्रों और शिक्षकों की संख्या में वृद्धि हुई है। सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है।
सत्र में इन मुद्दों पर तीखी बहस हुई, जिससे सदन की कार्यवाही में हंगामा देखने को मिला।




