महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन रहेगा , लेकिन जोर सीट बढ़ाने को लेकर…
खबरों के मुताबिक हर होर्डिंग और पोस्टर पर फडणवीस सरकार को दोबारा मौका देने की अपील है और सबसे प्रमुखता से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने का उल्लेख है। भाजपा के होर्डिंग में कहीं भी शिवसेना और दूसरे सहयोगी दलों का उल्लेख नहीं है और न ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का कोई चित्र है।
राहुल गांधी की चुनावी सभाओं में एनसीपी नेताओं की मौजूदगी भी होती है और शरद पवार के भाषणों में यूपीए सरकार के दौरान किए गए कामों के साथ सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के नाम का जिक्र भी होता है। लेकिन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में एक अलग दूसरे तरह का असंतुलन है।
दरअसल वह यह कि कांग्रेस के मुकाबले एनसीपी अपने गढ़ों में भाजपा-शिवसेना को टक्कर देती दिखती है। मुंबई में जहां एनसीपी के मुकाबले कांग्रेस का पलड़ा अक्सर भारी रहता आया है, इस बार नेतृत्व के संकट से जूझती कांग्रेस के सामने भाजपा-शिवसेना के साथ-साथ एनसीपी के मुकाबले अपनी बढ़त बनाए रखने की भी चुनौती है।