महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन रहेगा , लेकिन जोर सीट बढ़ाने को लेकर…

देश में  महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर मैदान में गठबंधन से ज्यादा दलों को सीट बढ़ाकर इजाफा प्राप्त किया हैं। देखा जाये तो ये चुनाव भाजपा शिवसेना के प्रचार को देखकर समझ में आता हैं की दोनों नेताओं में दल सबसे ज्यादा हैं।
बतादें की मुंबई से लेकर राज्य में पुणे और सातारा तक की यात्रा के दौरान जगह-जगह सबसे ज्यादा भाजपा के होर्डिंग्स और पोस्टर दिखाई दिए। कहीं-कहीं शिवसेनाहोर्डिंग्स भी हैं, लेकिन भाजपा के मुकाबले उनका अनुपात दस और दो का है। लेकिन जबकि कांग्रेस और एनसीपी के होर्डिंग तो न के बराबर नजर आते हैं।
एनसीपी का प्रचार करते हुए कुछ चुनाव वाहन जरूर मिले जबकि कांग्रेस के होर्डिंग्स तो कहीं नहीं दिखते, शहरों के भीतर जरूर कुछ जगह झंडे और बैनर कहीं कहीं मिल जाते हैं। जहां भाजपा-शिवसेना गठबंधन होने के बावजूद पूरे चुनाव प्रचार में कहीं भी दोनों दलों के बैनरों पोस्टरों और होर्डिंगों को देखकर नहीं लगता कि दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।

खबरों के मुताबिक हर होर्डिंग और पोस्टर पर फडणवीस सरकार को दोबारा मौका देने की अपील है और सबसे प्रमुखता से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने का उल्लेख है। भाजपा के होर्डिंग में कहीं भी शिवसेना और दूसरे सहयोगी दलों का उल्लेख नहीं है और न ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का कोई चित्र है।

राहुल गांधी की चुनावी सभाओं में एनसीपी नेताओं की मौजूदगी भी होती है और शरद पवार के भाषणों में यूपीए सरकार के दौरान किए गए कामों के साथ सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के नाम का जिक्र भी होता है। लेकिन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में एक अलग दूसरे तरह का असंतुलन है।

दरअसल वह यह कि कांग्रेस के मुकाबले एनसीपी अपने गढ़ों में भाजपा-शिवसेना को टक्कर देती दिखती है। मुंबई में जहां एनसीपी के मुकाबले कांग्रेस का पलड़ा अक्सर भारी रहता आया है, इस बार नेतृत्व के संकट से जूझती कांग्रेस के सामने भाजपा-शिवसेना के साथ-साथ एनसीपी के मुकाबले अपनी बढ़त बनाए रखने की भी चुनौती है।

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