मकर संक्रांति, घुघुतिया, खिचड़ी, बिहू और पोंगल कोई नहीं एक दूजे से जुदा, धर्म से साथ यह है वैज्ञानिक कारण

हिंदू धर्म में हर त्योहार का अपना अलग ही महत्व है। हर दिन कोई ना कोई त्योहार मनाया जाता है। हर दिन का कोई महत्व जरूर होता है वह धार्मिक रूप से भी काफी जरूरी होता है। मकर संक्रांति का त्योहार साल की शुरुआत में ही आता है।

मकर संक्रांति

 

हमारे देश में इस त्योहार को अलग-अलग राज्यों में अलग –अलग नाम से पुकारा जाता है। इस त्योहार का भले पुकारने का और मनाने का तरीका अलग हो लेकिन इस त्योहार का मतलब हर जगह एक ही है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी,  उत्तराखंड में घुघुतिया या काले कौवा, असम में बिहू  और दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है।

आपको बता दें इस त्योहार को हर कोई अपने-अपने तरह से मनाता है इसलिए इस त्योहार का नाम भी हर जगह अलग-अलग है। आज से 80 साल पहले तक इस त्योहार को 12 सा 13 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन इसे 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। साल 2020 में इस त्योहार को 15 जनवरी को मनाया जाएगा।

मकर संक्रांति की तिथि और शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति या खिचड़ी की तिथि: 15 जनवरी 2020

15 जनवरी 2020 को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक

कुल अवधि: 10 घंटे 31 मिनट

मकर संक्रांति महापुण्यत काल: 15 जनवरी 2020 को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से सुबह 9 बजे तक

कुल अवधि: 1  घंटे 45 मिनट

क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?

सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है. सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है. उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है. मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्ना न और दान-पुण्य करने का  महत्व  है. इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्माश की शांति के लिए ख‍िचड़ी दान करने का भी विधान है. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है. कई जगहों पर पतंगें उड़ाने की भी परंपरा है.

निर्भया केसः दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज, 22 जनवरी को होगी फांसी…

मकर संक्रां‍ति की पूजा विधि

–  सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए.

– तिल को पानी में मिलाकार स्नान करना चाहिए. अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए. इस दिन नदी में स्नान करने का भी विधान है.

– इस दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.

 

 

LIVE TV