‘मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भाजपा को करना होगा बड़ा फेरबदल, पीएम मोदी को देना होगा इस्तीफा’

दिग्गज मंत्रियोंनई दिल्ली। आने वाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों के चलते मोदी सरकार अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करने में जुट गई है। एक ओर जहां इस फेरबदल में कई दिग्गज मंत्रियों से उनका मंत्रालय छीन लिया जाएगा तो वहीं दूसरी ओर कई नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। मोदी सरकार अपनी इन चुनावी तैयारियों के बीच एक बार फिर विपक्षियों के निशाने पर आ गई है।

परफॉर्मेंस के आधार पर फेरबदल में जुटी मोदी सरकार पर कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा है कि अगर परफॉर्मेंस के आधार पर ही कैबिनेट में फेरबदल हो रहा है तो सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि सबसे खराब प्रदर्शन तो उन्हीं का है।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है कि चाहे रोजगार का मुद्दा हो, किसानों का मुद्दा हो, नोटबंदी हो या जम्मू-कश्मीर की कानून व्यवस्था इन सभी मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फेल ही साबित हुए हैं और उनका प्रदर्शन भी बेहद घटिया रहा है। अतः इस आधार पर उन्हें ही सबसे पहले अपना इस्तीफा देना चाहिए।

वहीं संभावना जताई जा रही है कि रविवार यानी 3 सितंबर 2017 को पीएम मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की घोषणा सार्वजनिक करेंगे। इसी बीच कुछ ऐसा हुआ जिससे पीएम मोदी के अरमानों पर पानी फिरता हुआ दिखाई देने लगा। दरअसल भाजपा की ओर से घोषणा हुई थी कि जेडीयू एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री के प्रस्ताव पर मान गई है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

दोनों ही पक्षों में इस बात पर नोक-झोक शुरू हो गई है। खबर यह भी है कि मामला इतना बढ़ गया है कि जेडीयू को लेकर भाजपा के कई सांसद भी अपनी प्रबल दावेदारी को लेकर अध्यक्ष अमित शाह के घर पहुंच गए।

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बदलते रुख और नीतीश के भाजपा के प्रति गर्म तेवर कहीं न कहीं तेजस्वी यादव द्वारा बोली गई वह लाइन (‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसे नीतीश ने ठगा नहीं’) आज नीतीश के चरित्र को उजागर कर रही है।

ख़बरों के मुताबिक़ नीतीश कुमार भाजपा के फैसले से खुश नहीं हैं। हालांकि बातचीत अभी भी जारी है और दोनों पक्षों को लगता है कि रविवार की शाम तक मामला सुलझा लिया जाएगा।

जेडीयू को लगता है कि उनकी तुलना रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी से नहीं की जा सकती जिन्हें एक कैबिनेट पद मिला हुआ है।

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सूत्रों के मुताबिक जेडीयू मोदी मंत्रिमंडल में कोई रेलवे जैसे रुतबे वाला पोर्टफोलियो चाहता है। गौर करने वाली बात यह है कि खुद नीतीश कुमार रेल मंत्री रह चुके हैं और बिहार से उनके दूसरे प्रतिद्वंदी लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान भी पहले रेल मंत्री रह चुके हैं।

जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने मंत्रिमंडल में शामिल होने के सवाल पर टका सा जवाब दिया कि उन लोगों को मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में कुछ भी पता नहीं है, क्योंकि उनकी पार्टी से किसी की बात नहीं हुई है।

ऐसे बयान देकर जेडीयू अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर जाहिर कर रही है और बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश भी कर रही है।

इन खबरों के बीच जेडीयू के जिन सांसदों का नाम मंत्री बनने के लिए चर्चा में था वह डरे-सहमे अपने घरों में बंद हो गए हैं और मीडिया से बिल्कुल बात नहीं कर रहे हैं। इन नेताओं को डर है कि इस नाजुक वक्त पर जरा सा भी बोलना उन्हें महंगा पड़ सकता है।

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इसके साथ ही इस बैठक में रक्षा मंत्री समेत कैबिनेट में शामिल होने वाले तमाम नए चेहरों पर भी चर्चा हो रही है। हालांकि अभी जेडीयू को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है, उस पर सस्पेंस बरकरार है।

इस कैबिनेट विस्तार में जहां शिवसेना को अतिरिक्त जगह मिल सकती है, तो वहीं सुरेश प्रभु से रेल मंत्रालय वापस लिया जा सकता है।

बता दें अब तक उमा भारती और कलराज मिश्र समेत कुल 7 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इनमें बंडारू दत्तात्रेय, राजीव प्रताप रूडी, फग्गन सिंह कुलस्ते, महेंद्र नाथ पाण्डेय और संजीव बालियान का नाम भी शामिल है।

सूत्रों की मानें तो मोदी मंत्रिमंडल में होने वाले विस्तार में उन राज्यों पर अधिक ध्यान दिया गया है, जहां जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। इस कैबिनेट विस्तार में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान को जगह मिल सकती है।

वहीं पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान सहित छह राज्यमंत्रियों को कैबिनेट मंत्री के रूप में तरक्की भी मिल सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इसके लिए मंत्रियों के तीन साल के कामकाज और चुनावी राज्यों के समीकरण को आधार बनाया है।

मौदी कैबिनेट में जुड़ने वाले नए नामों में अनुराग ठाकुर, भूपेंद्र यादव या ओम माथुर, प्रहलाद जोशी, विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रह्लाद पटेल, हरीश द्विवेदी और अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, वी मैत्रेयन प्रमुख तौर पर शामिल हैं।​

साथ ही यह भी खबर है कि करीब डेढ़ दर्जन नए चेहरों को जगह मिलेगी और लगभग एक दर्जन मंत्रियों की विदाई भी होगी।

4 साल में तीसरी बार हो रहे फेरबदल में 18 से 30 मंत्रियों के मंत्रालयल बदलेंगे। अरसे से खाली पड़े पदों को भरने के साथ ही कई मंत्रियों के विभाग भी बदले जाएंगे।

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