भू-जल संकट! भविष्य बचाने के लिए सरकार ने बनाएं ये गंभीर नियम, दोषी जाएंगे जेल

reporter- ram anuj bhatt

लखनऊः देश में वातावर्ण बड़ी तेजी से हो रहा है। जिसका खासा असर प्रदेश पर पड़ने वाला है। पहले सुखे की चपेट में बुंदेलखण्ड था। भूजल का एसे ही होता रहा दोहन तो प्रदेश के हालात बद से बदत्तर हो जाएंगे। पहले सिर्फ कुछ जिलों के साथ जून जुलाई के महीने में ये समस्या होती थी। यही हाल रहा तो बुरे परिणाम हो सकते हैं।


सरकार ने भूगर्भजल दोहन के लिए एक नया कानून बनाया है. भूगर्भ जल के साथ किए जाने वाला खिलवाड़ लोगों को जेल की हवा भी खिला सकता है। सरकार ने कृषि और घरेलू उपयोग को छोड़कर अन्य सेक्टर के लिए भू-जल दोहन के नियम को सख्त कर दिए हैं। यूपी में भूगर्भ जल का सबसे ज्यादा दोहन हो रहा है. खेतों में सिंचाई से लेकर घरेलू उपयोग और फैक्ट्रियों में भी भूगर्भ जल का ही सर्वाधिक इस्तेमाल हो रहा है। इसी वजह से उत्तर प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में भूगर्भ जल का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही नया भूगर्भ जल अधिनियम लागू किया था.प्रदेश में भूगर्भ जल वाले विकास खंडों की तादाद भी 600 से भी ज्यादा है .ऐसे में सरकार के लिए जरूरी हो गया था कि वह भूगर्भ जल दोहन के लिए सख्त कानून बनाए.इसके तहत अब किसी भी व्यक्ति या संस्था को भूगर्भ जल दोहन के लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी होगा.

आगरा, अलीगढ़, अंबेडकरनगर जैसे जिलों में तो भूगर्भ जल का स्तर हर साल दो से चार मीटर के बीच कम होता देखा गया है। भूगर्भ जल नियामक एक संस्था होगी जिसके अध्यक्ष और मुख्य सचिव होंगे। यह संस्था प्रदेश स्तर पर भूगर्भ जल दोहन की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी।

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जल दोहन के लिए नलकूप या सबमर्सिबल पंप की बोरिंग कराने वालों को जल विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा। कृषि और घरेलू उपभोक्ताओं को पंजीकरण का कोई शुल्क नहीं देना होगा। लेकिन अन्य लोगों के लिए शुल्क निर्धारित किए गए हैं.इस नए अधिनियम की सबसे खास बात यह है कि भूगर्भ जल प्रदूषण का दोषी पाए जाने वाले को जेल भेजा जाएगा।

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