जानिए… वो तीर्थस्थल जहाँ भगवान् गणेश करते हैं निवास
भगवान गणेश की सदैव ही अग्रपूजा होती हैं और उनकी पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है। श्रीगणेश के स्वतंत्र मंदिर कम ही जगहों पर देखने को मिलते हैं, लेकिन कई स्थानों पर भगवान गणेश की स्वतंत्र मंदिर भी स्थापित है और उसकी महता भी अधिक बतायी जाती है। केवल भारत ही नहीं भारत के बाहर भी भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश के 10 प्रधान क्षेत्रों का विवरण मिलता है। आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में –
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- मोरेश्वसर:- गणपति तीर्थों में यह सर्वप्रधान है। यहां गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित है। यह क्षेत्र पुणे से 40 मील और जेजूरी स्टेशन से 10 मील की दूरी पर स्थित है।
- प्रयाग:- यह प्रसिद्ध तीर्थ में से एक है। यहां आदिकल्प के आरंभ में ओंकार ने वेदों सहित मूर्तिमान होकर भगवान गणेश की आराधना और स्थापना की थी।
- काशी:- यहां ढुण्ढिराज गणेशजी का मंदिर है। यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है और यह ‘ढुण्ढिराज क्षेत्र’ है। यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है।
- पाली:- इस स्थान का प्राचीन नाम पल्लीपुर है, बल्लाल नामक वैश्यस बालक की भक्ति से यहां गणेशजी का आविर्भाव हुआ, इसलिए इसे ‘बल्लाल विनायक क्षेत्र’ कहा जाता है।
- अदोष:- नागपुर-छिदवाड़ा रेलवे लाइन पर सामनेर स्टेशन है। वहां से लगभग 5 मील की दूरी पर यह स्थल है। इसे ‘शमी विघ्नेनश क्षेत्र कहा जाता है। महापाप, संकट और शत्रु नामक दैत्यों के संहार के लिए देवता तथा ऋषियों ने यहां तपस्या की थी।
- राक्षसभुवन:- जालना से 33 मील की दूरी पर गोदावरी के किनारे यह स्थान है। यह ‘विज्ञान गणेश क्षेत्र’ है। गुरु दत्तात्रेय ने यहां तपस्या की और विज्ञान गणेश की स्थापना की। यहां मंदिर भी विज्ञान गणेश का है।
- थेऊर:- पुणे से 5 मील की दूरी पर यह स्थान है। ब्रह्माजी ने सृष्टि कार्य में आने वाले विघ्नों के नाश के लिए गणेशजी की यहां स्थापना की थी।
- राजनगांव:- इसे ‘मणिपुर क्षेत्र’ कहते हैं। भगवान शंकर त्रिपुरासुर के साथ युद्ध करने से पहले यहां गणेशजी की पूजा की थी। यहां गणेश स्तवन करने के बाद उन्होंने त्रिपुरासुर को हराया था। शिवजी द्वारा स्थापित गणेशजी की मूर्ति यहां है। पुणे से राजनगांव के लिए सड़क मार्ग है।
- विजयपुर:- अनलासुर के नाशार्थ यहां गणेशजी का अविर्भाव हुआ था। ग्रंथों में यह क्षेत्र तैलंगदेश में बताया गया है। स्थान का पता नहीं है। मद्रास-मैंगलोर लाइन पर ईरोड से 16 महल की दूरी पर विजयमंगलम स्टेशन है। वहां का गणपति मंदिर प्रख्यारत है।
- जलेशपुर:- यह क्षेत्र भी अब अज्ञात है। मय दानव द्वारा निर्मित त्रिपुर के असुरों ने इस स्थान पर गणेश जी की स्थापना कर पूजन किया था।