बैंक घोटालाः डीएचएफएल में 21 करोड़ रुपए फंसने के मामले में आया नया मोड़

Reporter – Awanish Kumar

लखनऊ – उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के कर्मचारियों का डीएचएफएल में 21 करोड़ रूपया फंसने के मामले में नया मोड़ आया है। प्रमुख सचिव का दावा है कि कर्मचारियों का कोई भी ट्रस्ट निजी बैंक में रेटिंग के आधार पर पांच प्रतिशत का निवेश कर सकता है।

लेकिन ट्रस्ट 35 से 45 प्रतिशत तक के निवेश का दावा कर रहा है। अब कर्मचारियों का पैसा डुबाने में किसका हाथ है और मानकों को किसने दरकिनार किया है वह जाँच के बाद ही पता चलेगा।

दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में ऊर्जा विभाग, यूपी सिडको के बाद अब उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के दो हजार नौ सौ से ज्यादा कर्मचारियों के पीएफ का पैसा फंस चूका है।

बैंक में ट्रस्ट के माध्यम से कर्मचारियों का करीब 21 करोड़ रुपये का डीएचएफएल में निवेश हुआ है। वर्ष 2016 से कर्मचारियों का पैसा डीएचएफएल में जमा हो रहा है जिसके एवज में डीएचएफएल कर्मचारियों को बैंक 9.30 प्रतिशत का ब्याज दे रहा था। अब भारतीय रिजर्व बैंक के डीएचएफएल पर कार्रवाई और उसे दिवालिया घोषित करने के बाद कर्मचारियों का पैसा फंस चूका है।

मामले का खुलासा होने के बाद प्रमुख सचिव एमवीएस रामीरेड्डी ने अब पीएफ का पैसा भविष्य निधि आयुक्त के पास जमा करने का आदेश दिया है। वहीँ डीएचएफएल से पैसा वापस लेने के लिए विधिक सहायता भी ली जा रही है। प्रमुख सचिव का दावा है कि कोई भी ट्रस्ट पांच प्रतिशत तक रेटिंग के आधार पर निजी बैंक में इन्वेस्ट कर सकता है लेकिन कुल लगत से अधिक का निवेश डीएचएफएल में किया गया है। प्रमुख सचिव ने अपनी सफाई में कहा कि मामले की जाँच कराई जाएगी।

उत्तर प्रदेश सहकारिता ग्राम विकास बैंक में ट्रस्ट के सचिव राज कुमार यादव का दावा कुछ और ही है, उनका कहना है कि कई बड़ी संस्थाओं का करोड़ों रूपया लगा और कंपनी का रेटिंग भी बेहतर था, जिसको ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट के सदस्यों ने पैसा डीएचएफएल में लगाने का निर्णय लिया। यह सभी पैसा सिक्योर बांड में लगा है जो आरबीआई के माध्यम से है। सचिव का दावा है कि ट्रस्ट में पांच प्रतिशत से ज्यादा का निवेश हो सकता है।

ट्रस्ट के सचिव का मानना है कि डीएचएलएफ के सिक्योर्ड बाण्ड मे भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अन्तर्गत विनियोजन आकर्षक ब्याज होने के कारण किया गया जिसमे कोई बिचौलिया या ब्रोकर नही है। सभी विनियोजन डायरेक्ट किये गये इन विनियोनो से जून 19 तक लगभग 3 करोड ब्याज के रूप मे प्राप्त हो चूका है। फंसी हुई रकम की वापसी के लिए प्रबंधन के सहयोग से विधिक कार्यवाही की जा रही है। सचिव ने यह भी कहा की छ सदस्यीय बोर्ड आफ ट्रस्ट मे तीन सेवायोजक प्रतिनिधि जिनमें मुख्य लेखाधिकारी, महाप्रबंधक एवं उप महाप्रबंधक/सहायक महाप्रबंधक लेखा एवं तीन चुने हुए कर्मचारी प्रतिनिधि द्वारा ट्रस्ट का प्रबंध एवं संचालन किया जाता है।

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दिवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में कर्मचारियों का 21 करोड़ रूपया फंसने का मामला सामने आते ही सभी सफाई देने में जुटे हैं लेकिन सवाल यह है कि जब केंद्र ने राष्ट्रीयकृत बैंकों की सूचि जारी की ताकि कोई भी निवेश सुरक्षित रहे। उसके बावजूद चंद प्रतिशत के लिए निजी कंपनियों में निवेश किया जाता रहा, जिसका नतीजा है कि सहकारी ग्रामीण विकास बैंक का के कर्मचारियों के पीएफ का 21 करोड़ रूपया फंस गया है।

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