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“उत्तर प्रदेश विशाल सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक त्योहारों का उद्गम स्थल है। सभी समुदायों के लोग प्रमुख त्योहारों को विभिन्न स्थानों पर उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। उत्तर प्रदेश में आगंतुक इन त्योहारों से जुड़ी लोक संस्कृति का आनंद लेते हैं । त्योहारों के दौरान परंपरागत सजावट, नृत्य-संगीत का आयोजन तथा आतिशबाजी का कार्यक्रम जीवन में खुशी और रोमांच का अनुभव कराता है।”
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दिवाली , ईद-उल-फितर, बैसाखी और क्रिसमस जैसे प्रमुख त्यौहार प्रदेश में पूरे धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं। कुछ अन्य महत्वपूर्ण पर्व, महोत्सव सांस्कृतिक महत्व के स्थान हैं:

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होली का पर्व

यह रंगों, मस्ती और ख़ुशी का उत्सव है, जो पूरे उत्तर प्रदेश में जोर शोर से मनाया जाता है। यह मूलतः कृषि से जुड़ा पर्व है और इसे हिन्दू तिथि के फाल्गुन माह की पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व फरवरी या मार्च में पड़ता है।

यह पर्व शरद ऋतु या जाड़े का अंत और वसंत के आने का संकेत होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में इस पर्व का विशेष महत्त्व है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को यह अत्यंत प्रिय था। ब्रज में यह त्यौहार एक सप्ताह से भी ज्यादा समय तक मनाया जाता है।

इस दिन लोग अबीर, गुलाल और अन्य प्रकार के रंगों को एक दूसरे पर लगाते हैं और आपसी भाईचारे को मजबूत करते हैं। परिवार में बड़े लोगों के पैरों पर रंग लगाकर उनके प्रति आदर का प्रदर्शन किया जाता है। आजकल तरह-तरह की पिचकारियां बच्चों और बड़ों द्वारा भी रंग डालने के लिए इस्तमाल की जाती है।

यह दिन मिठाई, नमकीन और कई प्रकार के व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। इस दिन के विशेष पकवानों में गुझिया, मठरी, सेव और ठंडाई शामिल हैं।

दशहरा का पर्व

दशहरा हिन्दू तिथि के आश्विन माह में पड़ने वाले शारदीय नवरात्रि के अंत में दसवें दिन मनाया जाता है। इसे विजयादशमी भी कहते है। और यह आधुनिक कैलेंडर के सितम्बर या अक्टूबर माह में पड़ता है।

नवरात्रि

नवरात्रि एक नौ दिनों का विशेष आयोजन है जब शक्ति की प्रतीक देवी की पूजा की जाती है, और इसके मूल में महिलाओं का सम्मान करना निहित है। इस अवसर पर माँ दुर्गा की उपासना की जाती है और कुछ वर्गों, विशेष तौर पर बंगाल निवासियों या बंगाली मूल के लोगों में इसे दुर्गा पूजा के तौर मनाया जाता है। नवरात्रि पूजा के अंत में दसवें दिन माँ दुर्गा की प्रतिमाओं का नदी में विसर्जन किया जाता है।

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विजयादशमी

विजयादशमी के दिन असुर राजा रावण की प्रतिमा बना कर उसका दहन किया जाता है जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस प्रथा का मूल रामचरितमानस से लिया गया है जहां भगवन श्री राम ने लंका के युद्ध में रावण का वध किया था। रावण दहन कई शहरों में एक मेले के तौर पर आयोजित होता है, और इस अवसर पर अयोध्या में रामायण मेला आयोजित होता है जहां रामलीला का मंचन होता है।

दशहरा और रामलीला: प्रयागराज अयोध्या वाराणसीलखनऊ
रामनवमी: अयोध्या चित्रकूट
कुंभ मेला: प्रयाग (प्रयागराज)
शिवरात्रि : वाराणसी
देव दीपावली : वाराणसी
देवा मेला : देवा शरीफ
लखनऊ : लखनऊ महोत्सव
झांसी : झांसी महोत्सव
आगरा : ताज महोत्सव

https://www.youtube.com/watch?v=G_z_4WZjDKg
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