LIVETODAY EXCLUSIVE : बुंदेलखंड का असली मांझी… सूखे से निजात दिलाने के लिए अकेले खोदा तालाब

बुंदेलखंड का असली मांझीलखनऊ।  बुंदेलखंड का नाम जुवा पर आते ही वो तस्वीर बनती है, जहां बंजर जमीन में उम्मीदों का हल चलाते किसान और बूंद-बूंद पानी को तरसते लोग है। बुंदेलखंड आज बदहाली, बर्बादी और बेबसी की मिसाल बन चुका है। यहां लोग सूखी रोटी खाने को मजबूर है।

बुंदेलखंड का असली मांझी

इस लिहाज से देखा जाए तो बुंदेलखंड देश का ऐसा हिस्सा है, जहां विकास के तमाम दावें, खुशहाली के सपने किसानों के सूखे खेतों में दम तोड़ते नजर आ जायेंगे।

लेकिन किसी महान व्यक्ति ने कहा था कि हौसले बुलंद हो तो आसमान भी कदम चूम लेता है और कामयाबी खुद ब खुद दामन थाम लेती है।

इन्हीं हौसलों के साथ हाथों में फावड़ा लिए कृष्णानंद पिछले दो सालों से एक तालाब खोदने में जुटे हुए है। वो कड़ी धूप में भी खुदाई करते रहते है।

बता दें बुंदेलखंड में पिछले तीन सालों से बारिश का आकाल पड़ा हुआ है।

ऐसे में पूरा इलाका बूंद-बूंद पानी को तरस रहा है। नहरे नदियां और तालाब सूख चुके है।

ऐसी हालात में मौसम से लड़ने का मन बना चुके कृष्णानन्द ने अकेले ही आठ बीघे का तालाब खोद डाला है।

उन्होंने हमीरपुर की बंजर पड़ी जमीन को हरा भरा करने का काम किया है।

गौरतलब है की ये कृष्णानन्द के पक्के इरादे ही है जिसकी वजह से उनको बिहार के दशरथ माझी से कम नहीं आंका जा रहा है।

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