बाल विवाह से खुद को बचा कर घर से भागी लड़की, 12th  में लायी 90.3 % नंबर !

बच्चे अक्सर अपनी मांग पूरी न होने, पसंद के खिलौने न मिलने या मां-बाप से नाराज होकर घर छोड़कर भाग जाते हैं. रेखा भी घर छोड़कर भाग गई. इसलिए नहीं कि उसकी कोई जिद पूरी नहीं हुई बल्कि इसलिए कि उसके घरवालो उसका बालविवाह कराना चाहते थे. जबकि वह पढ़ना चाहती थी.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल रेखा ने बारहवीं के एक्जाम 90.3 परसेंट हासिल किए हैं.

कर्नाटक में एक जिला है चिकबल्लपुर. यहां बागेपल्ली तालुक में कोट्टुरु नाम का गांव है. दो साल पहले घर छोड़कर भागने से पहले रेखा यहीं रहती थीं.

जब वो बेहद छोटी थी, तभी उसके पिता की मौत हो गई थी. उसकी मां आसपास के घरों में काम करके अपना परिवार चलाती हैं.

इसी रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल पहले रेखा के दसवीं में 74 परसेंट आए थे. दसवीं का रिजल्ट आते ही उसपर शादी करने का दबाव बनाया जाने लगा. घर वाले रेखा का बाल-विवाह करना चाहते थे. तब वह 16 साल की थी.

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रेखा ने घरवालों का फैसला मानने से इनकार कर दिया और अपनी एक सहेली के साथ बेंगलुरु रहने आ गई. यहां उसने कंप्यूटर की ट्रेनिंग क्लास में दाखिला ले लिया.

कुछ वक्त के बाद रेखा को लगा कि पढ़ाई जारी रखने में मुश्किल हो रही है. उसने हार नहीं मानी. घर लौटने का नहीं सोचा. 1098 पर कॉल कर चाइल्ड हेल्पलाइन से बात की. उन्हें अपनी परेशानी बताई.

रेखा तब हेब्बल नाम की जगह पर रहती थीं. इसके बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का एक सदस्य उनके पीजी पहुंचा और माथिकेरे स्थित स्पर्श ट्रस्ट में रेखा के रहने की व्यवस्था कराई गई. रेखा का एक सरकारी पीयू (प्री-यूनिवर्सिटी) कॉलेज में दाखिला करवाया गया.

18 अप्रैल को रेखा का पीयू सेकेंड ईयर यानी बारहवीं का रिजल्ट आ गया. उसके 600 में से 542 नंबर आए हैं.

रेखा आगे पढ़ाई जारी रखना चाहती है. वो कहती है कि वह हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस से बीए करेगी. उसने बताया कि दो साल पहले घर से भागने की सिर्फ एक वजह थी, “मैं बाल विवाह नहीं करना चाहती थी. मैं पहले लॉ की पढ़ाई करना चाहती हूं और वकील बनना चाहती हूं. इसके बाद सिविल सर्विस एक्जाम दूंगी.”

 

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