बहुत खास है सोनिया और ममता बनर्जी की मुलाकात, कभी रात में खुलवाए थे 10 जनपथ के दरवाजे

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी 5 दिनों के दिल्ली दौरे पर हैं। बीते दिन पीएम मोदी से मुलाकात के बाद वह आज(28-07-2021) को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलेंगी। इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं। माना जा रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए कांग्रेस को केंद्र में रखकर कई विपक्षी पार्टियों के साथ भाजपा के खिलाफ लड़ाई तेज करने वाली है। सोनिया गांधी से उनकी यह मुलाकात काफी अहम बताई जा रही है।

फाइटर मानी जाने वाली ममता बनर्जी ने आज भारतीय राजनीति में जो भी जगह बनाई है उसके लिए कांग्रेस और खासकर सोनिया गांधी में यह मलाल रहा है कि काश ममता कांग्रेस छोड़कर न जाती। सोनिया को पहले ही अंदाजा हो गया था कि ममता बड़ी नेता बनने वाली है। इसलिए उनकी भरसक कोशिश थी कि ममता पार्टी को छोड़कर न जाएं।

जब आधी रात को खुले थे दस जनपथ के दरवाजे

यह बात उस समय कि ही जब दिवंगत नेता प्रणब मुखर्जी और ममता बनर्जी के बीच में नहीं बन रही थी। ममता को लगता खा कि प्रणब उनके विरोध में मोर्चा खोल रहे हैं। ममता की महत्वकांक्षा पश्चिम बंगाल चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की थी। वह प्रणब को अपना बड़ा भाई मानती थी। लेकिन अपने खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए उन्होंने कांग्रेस से अलग होने का मन बनाया।
उस समय सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में नहीं थी। लेकिन ममता को कांग्रेस में ही रहने के लिए वह रोकना चाहती थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मुद्दे पर बात करने के लिए 22 दिसबंर 1997 को उन्होंने कंपकंपाती रात में 10 जनपथ के दरवाजे खुलवाए थे।
सोनिया से मुलाकात के बाद ममता ने कहा कि आपका ख्याल रखते हुए मैंने कई दिनों तक इंतजार किया। सीताराम केसरी जी(तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष) मुझे(ममता बनर्जी) पश्चिम बंगाल की सीएम पद का उम्मीदवार बनाने को तैयार नहीं है। अब देर हो चुकी है और तृणमूल इसका जवाब देगी। ममता उस समय सिर्फ एक शर्त पर कांग्रेस में वापस आने को तैयार थीं कि सोनिया गांधी पार्टी की कमान संभाल लें। हालांकि सोनिया ने 1998 में पार्टी की कमान संभाल भी ली लेकिन तब तक तृणमूल की अलग पहचान बन चुकी थी।

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