नैनीताल। उत्तराखंड में सरकार बनाने को लेकर अब रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने आज हरीश रावत को एक बार फिर सत्ता में लौटने का मौका दिया है। कोर्ट ने 10 मई को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने 9 बागी विधायकों को टेस्ट में हिस्सा लेनेे से भी मना कर दिया है। वहीं इससे पहले उत्तराखण्ड में फ्लोर टेस्ट की सुप्रीम कोर्ट की सलाह केन्द्र सरकार ने मान ली थी। केन्द्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वह उत्तराखण्ड विधानसभा में हरीश रावत को शक्ति प्रदर्शन का मौका देने के खिलाफ नहीं हैंं।
फ्लोर टेस्ट से होगा फैसला
उत्तराखंड में पिछले महीने कांग्रेस के 9 विधायक बागी हो गए थे। इसके बाद सरकार अल्पमत में आ गई थी। काफी राजनीतिक उथलपुथल के बाद केंद्र ने राष्ट्रपति शासन लगाया था। वहीं इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन को हटाते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। इसी फैसले के खिलाफ केंद्र सुप्रीम कोर्ट गया था जहां सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन बरकरार रखा था। अभी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।
हरीश रावत के लिए राहत की खबर ये भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 बागी विधायकों को वोटिंग में हिस्सा लेने से रोक दिया है। स्पीकर पहले ही कांग्रेस के इन बागी विधायकों को अयोग्य करार दे चुके हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि ये फ्लोर टेस्ट सिर्फ हरीश रावत सरकार के लिए है। रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से ये भी कहा है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान भी राष्ट्रपति शासन को नहीं हटाया जाए।
वहीं इससे पहले, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इसके लिए कोई प्रवेक्षक नियुक्त किया जाए। मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधानसभा का एक ही एजेंडा होना चाहिए और प्रवेक्षक पूर्व चुनाव आयुक्त होना चाहिए। अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा कि विधानसभा में दो राजनीतिक दलों के गठबंधन की ताकत का टेस्ट होना चाहिए।
आपको बता दें कि पिछले दिनों उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था जिसपर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगा दी। राज्य में 27 मार्च से ही राष्ट्रपति शासन लागू है।