प्रेरक-प्रसंग : सरदार वल्लभ भाई पटेल

विद्यार्थियों की एक टोली पढ़ने के लिए रोज़ाना अपने गाँव से छह-सात मील दूर दूसरे गाँव जाती थी। एक दिन जाते-जाते अचानक विद्यार्थियों को लगा कि उन में एक विद्यार्थी कम है। ढूँढने पर पता चला कि वह पीछे रह गया है।
उसे एक विद्यार्थी ने पुकारा, “तुम वहाँ क्या कर रहे हो?”
उस विद्यार्थी ने वहीं से उत्तर दिया, “ठहरो, मैं अभी आता हूँ।”

यह कह कर उस ने धरती में गड़े एक खूँटे को पकड़ा। ज़ोर से हिलाया, उखाड़ा और एक ओर फेंक दिया फिर टोली में आ मिला।

उसके एक साथी ने पूछा, “तुम ने वह खूँटा क्यों उखाड़ा? इसे तो किसी ने खेत की हद जताने के लिए गाड़ा था।”

 इस पर विद्यार्थी बोला, “लेकिन वह बीच रास्ते में गड़ा हुआ था। चलने में रुकावट डालता था। जो खूँटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूँटे को उखाड़ फेंकना चाहिए।”

वह विद्यार्थी और कोई नहीं, बल्कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।

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