प्याज की बढ़ती कीमतों ने रुलाया लोगो को , जानें सरकार क्या उठाएगी अब अहम कदम…

पहली बार इस साल में प्याज़ की बढ़ती कीमतों ने सबको रुला कर रख दिया हैं। वहीं सरकार ने प्याज़ के दमों पर अभी कोई कटौती नहीं कर पाई हैं। उत्तर भारत के तमाम राज्यों में प्याज़ के दामों ने आसमान छू लिया हैं।

खबरों की माने तो राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत के तमाम राज्यों में प्याज की कीमतों ने आसमान छू लिया है। मानसून में देरी के चलते खरीफ सत्र में प्याज की बुआई में देरी हुई। वहीं कई राज्यों बाढ़ के चलते प्याज की फसल को नुकसान हुआ है, जिसकी वजह से प्याज की कीमतों में आग लगी है।
वहीं महाराष्ट्र के लासलगांव स्थित प्याज की सबसे बड़ी मंडी में इसकी कीमतों में जोरदार उछाल आया है। इस संदर्भ में व्यापारियों का कहना है कि बेमौसम बारिश के चलते प्याज की फसलों को नुकसान हुआ है, जिसकी वजह से कीमतें बढ़ी हैं और आगे भी इनमें उछाल जारी रह सकता है।
जहां बीते कुछ महीनों में प्याज की कीमतें लगभग दोगुना हुई हैं। अगस्त में जहां एक किलो प्याज के लिए लोग 25 रुपये चुकाते थे, वहीं अक्तूबर माह में एक किलो प्याज 90 से 100 रुपये प्रति किलो के भाव से बिका।बढ़ती कीमतों की वजह से केंद्र सरकार भी अलर्ट मोड पर है। सरकार ने बुधवार को आनन-फानन में घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति सुधार के लिए धूम्र-उपचार (फ्यूमिगेशन) सहित कई नियमों को 30 नवंबर तक लचीला करने का एलान किया है। इसके साथ ही चार देशों अफगानिस्तान, इजिप्ट, तुर्की और ईरान से आयात करने का फैसला लिया गया है।

उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश के श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। इस बैठक में देश में प्याज की कीमतों और उपलब्धता की समीक्षा की गई। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य मंगलवार को 80 रुपये किलो था, जबकि चेन्नई में 70 रुपये किलो और मुंबई में 50 रुपये किलो था।
दरअसल इस साल बाढ़, वर्षा की अनियमितता और साइक्लोन के चलते इस बार प्याज के उत्पादन में 30 से 40 फीसदी की गिरावट आई है। महाराष्ट्र में 70 फीसदी प्याज की फसल खराब हो गई है। महीने के अंत तक केवल राजस्थान से ही प्याज मिलेगा। देश में रोजाना प्याज की मांग दो लाख टन है, जिसकी पूर्ति सरकार के लिए फिलहाल आसान नहीं होगा।
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