ईपीएफ पेंशन धारक 4 दिसंबर को करेंगे आमरण अनशन, लेकिन कैसे मिलेगा न्याय

नई दिल्ली। कोशियारी समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर ईपीएफ पेंशन धारक चार दिसंबर को यहां भीकाजी कामा प्लेस स्थित भविष्य निधि ऑफिस के सामने आमरण अनशन करेंगे और मांगें पूरी नहीं होने पर सामूहिक आत्मदाह का रास्ता अपनाने की चेतावनी दी।

पेंशन

एक पदाधिकारी ने इस बात की जानकारी दी। इसके अलावा पेंशनधारकों ने अपनी मांगपत्र की प्रतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय मंत्रियों, सभी सांसदों और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को भेजी है।

ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष अशोक राउत ने कहा, “2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेंशनधारकों को मिलने वाली पेंशन की राशि 1000 रुपये करने की घोषणा की थी, लेकिन आज भी करीब 17 लाख पेंशन धारकों को 1000 रुपये से भी कम पेंशन मिल रही है। साथ ही ईपीएफओ पेंशन धारकों को गुमराह किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, “पेंशन धारक इतने परेशान हैं कि वह अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने के अलावा सांसदों के घरों और दफ्तरों का घेराव भी कर चुके हैं। इसके अलावा पेंशन धारक मुंडन करवाकर और भिक्षा मांगकर भी अपना विरोध जता चुके हैं।”

अशोक राउत ने बताया कि पेंशन धारक की मांगें अगर सरकार ने नहीं मानी तो वह सामूहिक आत्मदाह का रास्ता अपनाएंगे और इस कदम की जिम्मेदारी सरकार और ईपीएफ संगठन की होगी। ईपीएफ पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे लोग 60 से 80 वर्ष की उम्र के हैं। उनके पास ज्यादा जिंदगी नहीं बची है। अब जीवन की सांझ में वे मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

राउत ने कहा कि ईपीएस-95 योजना के तहत 62 लाख पेंशनधारक है, जिसमें से करीब 40 लाख सदस्यों को हर महीने 1500 रुपये से कम पेंशन मिल रही है और अन्य कर्मचारियों को दो हजार रुपये से ढाई हजार रुपये मासिक पेंशन मिल रही है।

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राउत ने कहा, “महंगाई के जमाने में ईपीएस-95 के पेंशन धारकों को सिर्फ 200 रुपये से 2500 महीने पेंशन मिल रही है, दूसरी ओर सरकारी कर्मचारियों की महीने की तनख्वाह एक लाख या 1.50 लाख तक पहुंच गई है।”

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राउत ने बताया कि ईपीएफ पेंशनर्स अपनी मांगों की प्रतियां प्रधानमंत्री के अलावा सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री, श्रम और रोजगार मंत्री, सभी सांसदों, सभी सीबीटी के सदस्यों और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को भेज चुके हैं।

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