पूजा में इस्तेमाल होने वाली धूपबत्ती से लोगों की बिगड़ रही है सेहत

घरों में होने वाली सुबह-शाम की पूजा से लेकर मंदिरों और धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल होने वाले सुगंधित धूप और अगरबत्ती का धुआं सेहत पर भारी पड़ रहा है। दोनों उत्पाद खतरनाक स्तर तक कार्बन मोनोऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) मिला धुआं छोड़ रहे हैं।
धूपबत्ती

यह खून की कोशिकाओं और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है। यह बात पालमपुर स्थित सीएसआईआर-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के एक ताजा शोध में सामने आई है।

संस्थान ने शोध की रिपोर्ट हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेज दी है। शोध की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर धूप और अगरबत्ती से जो धुआं निकलता है, उसमें भारी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड और वीओसी निकलते हैं।

धूप व अगरबत्ती के सैंपल इकट्ठा किए

ये दोनों ही तरह के तत्व शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने कुछ समय पहले क्रमवार मार्केट में बिकने वाले विभिन्न कंपनियों और ब्रांड के धूप व अगरबत्ती के सैंपल इकट्ठा किए।

इसके बाद इनके जलने के दौरान निकलने वाले धुएं में मौजूद प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की मात्रा का आकलन किया। प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. आरके प्रूथी ने बताया कि संस्थान से रिपोर्ट मिल गई है और उसका अध्ययन कर उसके अनुसार संबंधित कंपनियों पर कार्रवाई के लिए कदम उठाए जाएंगे।

शोध में यह निकला

शोध में पाया कि धूप और अगरबत्ती से निकले धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड 1.374 से लेकर 2.977 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जबकि वातावरण में 4 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को ही मानक के तहत सामान्य माना जाता है।

इसी तरह वीओसी की मात्रा 1020.8 से लेकर 1945.9 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाई गई है जबकि निर्धारित मानक में सिर्फ 5 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर ही स्वीकार्य है। जाहिर है वीओसी का खतरनाक स्तर तक शरीर में जाना उसे नुकसान ही पहुंचा रहा है।

महाभारत काल के यान के बारे में जानकर आपके उड़ जायेंगे होश, इसकी खूबियों के आगे फेल है राफेल…

खून की कोशिकाओं और फेफड़ों के लिए खतरनाक

सीएसआईआर-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि शोध के दौरान यह बात सामने आई कि इन धूप और अगरबत्ती के धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड और वीओसी की मात्रा

इतनी ज्यादा खतरनाक है कि अगर रोजाना ऐसा धुआं सहन किया जाए तो यह खून की कोशिकाओं और फेफड़ों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। अगले चरण में संस्थान धुएं के अन्य कंपोनेंट की भी रिपोर्ट तैयार कर रहा है।

LIVE TV