पुलवामा हमले पर सर्वदलीय बैठक भी चढ़ गयी ‘दलीय राजनीति’ की भेंट, बाज नहीं आये राजनेता…

पुलवामा हमले पर सरकार की तरफ से अगला कदम उठाने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक भी ‘दलीय राजनीति’ का शिकार हो गई।

जहां कुछ विपक्षी दलों ने सरकार को सभी तरह की कार्रवाई की छूट देने का समर्थन किया, वहीं पिछले दिनों मोदी सरकार के घोर विरोधी के तौर पर सामने आए दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन करने से इंकार कर दिया।

पुलवामा हमले पर सर्वदलीय बैठक

आखिर में सरकार की तरफ से लाए गए प्रस्ताव में संशोधन के बाद ही विपक्षी दलों ने उसे पारित करने पर मुहर लगाई।

दरअसल सरकार की तरफ से बैठक में पेश किए गए प्रस्ताव में अंतिम लाइन थी, ‘आज हम सभी अपने सुरक्षा बलों के साथ खड़े हैं और केंद्र व राज्य सरकार को ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम दृढ़तापूर्वक उठाने के लिए अधिकृत करते हैं।’

बैठक में जब गृहसचिव राजीव गौबा ने यह प्रस्ताव पढ़कर सुनाया, तो लगभग सभी दल इससे सहमत थे। लेकिन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के डेरेक ओ‘ब्रायन ने उनके हाथ से लेकर पूरा प्रस्ताव फिर से पढ़ा और इसका समर्थन करने से इंकार कर दिया।

हालांकि तेलंगाना राष्ट्र समिति और बीजू जनता दल के नेताओं ने आपत्ति जताने के लिए तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की, लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता टीएमसी के पक्ष में खड़े हो गए।
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इसके बाद बैठक की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गौबा को आपत्ति जता रहे नेताओं से बातचीत कर प्रस्ताव सुधारने के निर्देश दिए।

आपत्ति जताने वाले नेताओं की सलाह पर प्रस्ताव की अंतिम लाइन को बदलकर लिखा गया, ‘आज हम सभी देश की एकता और अखंडता के लिए अपने सुरक्षा बलों के साथ मजबूती से खड़े हैं।’ इसके बाद ही यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो पाया।

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