पाकिस्तान को लगा एक और बड़ा झटका , एक्शन टास्क फोर्स एशिया-पैसिफिक ग्रुप ने किया पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में…

अनुच्छेद 370 जम्मू – कश्मीर से हटने के बाद पाकिस्तान को अक बहुत बड़ा झटका लगा हैं. वहीं फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ओर से संदिग्ध सूची में डाले जाने के बाद पाकिस्तान ये बाद बर्दास नही कर पा रहा हैं. बतादें की फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एशिया-पैसिफिक ग्रुप ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में कर दिया हैं.

 

खबरों के मुताबिक पाकिस्तान अपने कानूनी और वित्तीय प्रणालियों के लिए 40 मानकों में से 32 को पूरा करने में विफल रहा है. इसके अलावा टेरर फंडिंग के खिलाफ सुरक्षा उपायों के लिए 11 मापदंडों में से 10 को पूरा करने में पाकिस्तान विफल साबित हुआ है. अब पाकिस्तान अक्टूबर में ब्लैक लिस्ट हो सकता है, क्योंकि एफएटीएफ की 27-पॉइंट एक्शन प्लान की 15 महीने की समयावधि इसी साल अक्टूबर में खत्म हो रही है.

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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ऑस्ट्रेलियाई शहर कैनबरा में बैठक हो रही है. यहां पाकिस्तान से जुड़ी म्युचुअल इवेल्यूशन रिपोर्ट (MER) पेश होने के बाद स्वीकार की जानी है. इससे पहले पाकिस्तान ने बुधवार को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स को अनुपालन रिपोर्ट सौंपी. इसमें 27 सूत्री कार्ययोजना (एक्शन प्लान) का उल्लेख है.

इस संबंध में एपीजी ने पाया कि इस्लामाबाद की ओर से कई मोर्चों पर खामियां हैं. साथ ही उसने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान की ओर से की जा रही कोशिशों में कई तरह की खामियां पाई हैं. पाकिस्तान की ओर से 50 पैमानों पर सुधार के दावों को लेकर कोई समर्थन नहीं मिल रहा.नौ देशों के इस क्षेत्रीय संगठन एपीजी में पाकिस्तान 40 पैमानों में करीब तीन दर्जन पैमानों में नाकाम रहा है. इसके अलावा 11 ‘प्रभावकारी’ पैमानों पर भी पाकिस्तान 10 में फिसड्डी साबित हुआ है.

दरअसल पाकिस्तान को एमईआर और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक्शन प्लान, दोनों मोर्चों पर असरदार अनुपालन दिखाना है. अक्टूबर में FATF के पूर्ण सत्र में पाकिस्तान के मामले की अंतिम समीक्षा की जाएगी. वहीं अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड के दबाव के बाद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) पाकिस्तान को जून 2018 से संदिग्ध सूची में डाल चुका है. एपीजी की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिकूल तथ्य पाए जाने के बाद अक्टूबर 2019 से उसे नकारात्मक रडार पर रखा जाएगा. इसके मायने हैं कि पाक के लिए दिक्कतें और बढ़ेंगी. वो संदिग्ध सूची में बना रहेगा और उसे संभवत: काली सूची में डालने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी.

 

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