पाकिस्तान का वो मंदिर जहां माथा टेकना चाहता है हर एक हिन्दू

धार्मिक आधारदुनिया भले ही सरहदों में बंधी हो लेकिन कुछ चीजें आज भी ऐसी हैं जो इसके दायरे में नहीं आती. मसलन हवा, पानी, पंछी और हमारे विचार. भले ही आजकल के दौर में धार्मिक आधार पर लोगों के बीच कई तरह के मतभेद देखने को मिलते हैं लेकिन जब बात आस्था की आती है तो सभी एक दुसरे के साथ खड़े नजर आते हैं.

सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म, सनातन धर्म है. दुनिया भर में रहने वाले आस्थावान हिन्दू भगवान की आस्था से जुड़े स्थलों पर माथा ठेकने की इच्छा रखते है. ऐसे में कुछ स्थल ऐसे भी है जिनको, सरहदों ने बांट रखा है. तो आइये आज हम आपको बताते है उस मंदिर के बारे में जो भारत के विरोधी देश पाकिस्तान की सर जमीं पर है. इस मंदिर को देवी हिंगलाज शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. शक्तिपीठ के अलावा वहां पर एक प्राचीन शिवलिंग भी स्थित है. मान्यता है कि शक्तिपीठ और शिवलिंग वहां पर आदि काल से स्थित है.

पुराणों के अनुसार, देवी पार्वती से विवाह करने से पहले भगवान शिव का विवाह देवी सती से हुआ था. लेकिन देवी सती ने अपने पिता के यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया था. जिसके बाद उनके अंगों से भारत और पड़ोसी देशों में जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है शक्तिपीठ बने.

क्या है शिवलिंग का रहस्य-

जिस मंदिर में यह शिवलिंग स्थित है उसे कटासराज मंदिर के नाम से जाना जाता है. कटासराज मंदिर के पास एक सरोवर है जिसे बड़ा ही पवित्र माना जाता है. इस सरोवर की खास बात यह है कि इसका पानी दो रंग का है. जहां सरोवर का पानी हरा है वहां सरोवर की गहराई कम है और जहां सरोवर का पानी बहुत गहरा है वहां का पानी गहरा नीला है.

यह सरोवर कैसे बना इसको लेकर बताया जाता है कि कटासराज मंदिर का सरोवर उस समय बना, जब देवी सती ने आत्मदाह किया था. देवी सती के आत्मदाह की खबर सुनकर भगवान शिव बहुत दुःखी हो गए थे और उनकी आंखों से दो बूंद आंसू गिरे थे. एक आंसू कटासराज में और दूसरा पुष्कर तीर्थ में गिरा था. जिसके बाद इस सरोवर का निर्माण खुद-बा-खुद हुआ था.

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