परीक्षा दी बच्चे ने, अंकपत्र माता-पिता के नाम से हुआ जारी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग की लापरवाही के किस्से सालों पुराने है। जहां इसी क्रम में लापरवाही का एक और नया अध्याय जोड़ते हुए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद का कारनामा सामने आया है। जहां परीक्षा दी बच्चे ने और अंकपत्र माता-पिता के नाम से जारी हुआ हैं।

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बता दें की जौनपुर जिले के 2416 प्राथमिक और 878 विद्यालयों में 3.81 लाख छात्र पढ़ते हैं। शिक्षण सत्र के आखिरी दिन 30 मार्च को सभी विद्यालयों में वार्षिक परीक्षा के अंकपत्र वितरित किए गए।

वहीं इसमें माता-पिता का नाम, आधार कार्ड नंबर, जन्मतिथि, अनुक्रमांक, प्रवेशांक आदि के लिए रिक्त स्थान तो हैं। लेकिन विद्यार्थी के नाम के लिए कोई स्थान ही नहीं है।

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देखा जाये तो इसके अलावा ऐसे विषयों के कॉलम जरूर हैं, जिनकी पढ़ाई बंद कर दी गई हैं। ये तो बात हो गई शिक्षा विभाग के लापरवाही की। इसके बाद अब बारी आती है विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों की। कुछ विद्यालयों के शिक्षकों ने ऐसे अंकपत्रों में अंक भी दे दिए हैं।

अंकपत्रों की गलत छपाई महीनों पहले ही हो चुकी थी। लेकिन, किसी की नजर उस गलती पर नहीं गई। अगर नजर पड़ी भी होगी तो किसी ने गलती सुधारने की जरूरत तक नहीं समझी।

दरअसल बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. राजेंद्र सिंह का कहना है कि रिपोर्ट कार्ड छापने के लिए ई-टेंडर स्थानीय स्तर पर किया गया था। जहां उसका प्रारूप निदेशालय से ही भेजा गया था। छपाई की गलती के लिए संबंधित फर्म के भुगतान में पांच फीसदी की कटौती कर दी गई है।

 कक्षा एक से कक्षा पांच तक के विद्यार्थियों को ऐसे अंकपत्र दे दिए गए हैं जिनमें ये साबित करना मुश्किल है कि ये अंकपत्र उन्हीं के हैं। इस अंक पत्र के आधार पर बच्चों को दूसरी जगह प्रवेश लेना मुश्किल हो जाएगा।
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