पटियाला हाई प्रोफाइल सीट पर इन दिग्गजों के बीच होगी कांटे की टक्कर

पंजाब की हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही पटियाला में इस बार अपने ही गढ़ में कांग्रेस के लिए जीत की डगर आसान नजर नहीं आ रही है। स्थानीय मुद्दे उसके लिए गले की हड्डी बने हैं, तो वहीं कई मांगों को लेकर कर्मचारियों और अध्यापक वर्ग में कैप्टन सरकार के खिलाफ काफी रोष है। कांग्रेस प्रत्याशी व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर को मौजूदा सांसद व नवां पंजाब पार्टी के डॉ. धर्मवीर गांधी और अकाली-भाजपा के साझा उम्मीदवार सुरजीत सिंह रखड़ा कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

पटियाला हाई प्रोफाइल सीट

खासतौर से डॉ. गांधी लगातार शाही परिवार पर हमले बोल रहे हैं। वह मतदाताओं को बता रहे हैं कि मोती महल के दरवाजे तो केवल चुनावों के वक्त खुलते हैं, जबकि उनके घर व दफ्तर के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं। नाराज कांग्रेसियों को भी अपने साथ जोड़ने का काम वह कर रहे हैं।

पटियाला सीट पर स्थानीय मुद्दे काफी हावी हैं। चाहे वह पीने के पानी की समस्या हो या फिर सीवरेज जाम, स्ट्रीट लाइटों की कमी और खस्ताहाल सड़कें। इसके चलते लोग सरकार से काफी खफा हैं। विधानसभा चुनाव के वक्त कैप्टन ने सीवरेज जाम की समस्या के हल के दावे तो बहुत किए, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए गए।

वहीं कर्मचारी और अध्यापक भी आए दिन सड़कों पर सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। दोनों वर्गों ने मांगें न पूरी होने पर सरकार को खामियाजा भुगतने की चेतावनी तक दी है। सड़कों पर घूमने वाले लावारिस पशुओं की समस्या और खासतौर से नशे की समस्या भी अहम मुद्दे रहेंगे।

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ये हैं प्रत्याशी
परनीत कौर (कांग्रेस)- तीन बार सांसद। जनता में पैठ, लेकिन कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं दे सकीं। रेल सेवाओं में विस्तार नहीं कर सकीं।

सुरजीत सिंह रखड़ा  (अकाली दल)- बादल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा प्रचार के लिए नहीं आ पा रहे, इसके नुकसान की आशंका।

डॉ. धर्मवीर गांधी (नवां पंजाब पार्टी)- मौजूदा सांसद हैं। लगातार सक्रिय रहे। आप पार्टी छोड़ने से उनके पास बड़े वालंटियर नहीं हैं।

नीना मित्तल (आम आदमी पार्टी)- गृहिणी हैं। आम आदमी तक पहुंच। लेकिन, आप के दो फाड़ होने का नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस का गढ़ रही है यह सीट

पटियाला लोकसभा सीट पर 16 में से 10 बार कांग्रेस जीती। यह कैप्टन का गृह जिला है। परनीत यहां से लगातार तीन बार सांसद रहीं हैं। 1999 में उन्हें 46.06 फीसदी, 2004 में 46.89 फीसदी और 2009 में 50.66 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि 2014 में कांटे की लड़ाई में वे 21 हजार वोटों से हार गई थीं।

कांग्रेस ने विधानसभा में दिखाई थी ताकत
पिछले चुनाव में पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 6 भाजपा-शिअद गठबंधन ने जीती थी। कांग्रेस को 3 और पहली बार चुनाव लड़ने वाली आप को 4 सीटें मिली थीं। लेकिन, 10 साल बाद राज्य की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस ने 117 में से 77 सीटें जीतकर अपनी ताकत का अहसास कराया था। भाजपा-अकाली गठबंधन 18 सीटों पर सिमट गया था।

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अपनों की नाराजगी भी सिरदर्द बनी
कांग्रेस में मान-सम्मान न मिलने और नजरअंदाज किए जाने पर नाभा में चार हजार से ज्यादा टकसाली कांग्रेसी परिवारों ने नवां पंजाब पार्टी का दामन थाम लिया है। अमलोह से कांग्रेसी विधायक काका रणदीप सिंह ने टिकट न मिलने पर परनीत के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया। रणदीप नाभा के राजसी परिवार से हैं और नाभा विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं।  वहीं, रखड़ा को भाजपा के नेताओं को साथ लेकर चलना मुश्किल हो रहा है।

तभेदों के चलते अब तक भाजपा के अधिकतर स्थानीय नेताओं ने रखड़ा के चुनाव प्रचार से दूरी बना रखी है। उसपर बादल सरकार के राज में बेअदबी की घटनाओं ने भी रखड़ा की पटियाला में साख को काफी नुकसान पहुंचाया है। डॉ. धर्मवीर गांधी का इस बार चुनाव निशान बदलकर माइक हो गया है। वालंटियर की कमी के चलते वे इसे ग्रामीण इलाकों तक प्रचारित नहीं कर पा रहे हैं। जबकि,   आम आदमी पार्टी की नीना मित्तल को गुटबाजी का नुकसान हो सकता है।

 

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