… तो इस वजह से मुसलमान नाम के आगे लिखते हैं पंडित!

पंडित टाइटलनई दिल्ली। श्रीनगर की जामा मस्ज़िद के बाहर सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारी मोहम्मद अयूब पंडित की गुरुवार (23 जून) को भीड़ ने हत्या कर दी थी। रात करीब साढ़े 12 बजे मस्जिद के बाहर तस्वीरें खींचने भीड़ ने उन पर हमला कर पीट-पीटकर हत्या कर दी। इसके बाद से ही हर कोई गुस्से में है और एक सवाल सभी में के मन में उठ रहा है कि कश्मीर में मुसलमान पंडित टाइटल क्यों लगाते हैं?

कश्मीर में दो तरह के पंडित रहते हैं। एक पंडित वे हैं जिनका धर्म हिन्दू है और दूसरे पंडित वे हैं जो मुसलमान हैं। ऐसे में एक सवाल मन में कौंधता है कि अपने नाम के आगे मुसलमान पंडित टाइटल क्यों लगाते हैं? अक्सर लोग यह समझ बैठते हैं कि कश्मीर में जिन नामों के साथ पंडित लगा है वे हिन्दू हैं। लेकिन ऐसा है बिल्कुल नहीं।

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दरअसल, कश्मीर में जो मुसलमान नाम के आगे पंडित लगाते हैं, ये वे मुसलमान हैं जिन्होंने इस्लाम क़बूल कर लिया और ब्राह्मण से मुसलमान बन गए।

मोहम्मद देन फ़ौक़ अपनी मशहूर क़िताब कश्मीर क़ौम का इतिहास में लिखते हैं, “कश्मीर में इस्लाम आने से पहले सब हिन्दू थे। इनमें ब्राह्मण भी थे। लेकिन ब्राह्मणों में एक ऐसा तबका भी था जिनका पेशा पुराने ज़माने से पढ़ना और पढ़ाना था।”

क़िताब में उन्होंने आगे लिखा है, ”इस्लाम क़बूल करने के बाद इस फ़िरक़े ने पंडित टाइटल को शान के साथ कायम रखा। इसलिए ये फ़िरक़ा मुस्लिम होने के बावजूद अब तक पंडित कहलाता रहा है। इसलिए मुसलमानों का पंडित फ़िरक़ा शेख भी कहलाता है। सम्मान के तौर इन्हें ख़्वाजा भी कहते हैं। मुसलमान पंडितों की ज़्यादा आबादी ग्रामीण इलाक़ों में हैं।”

कश्मीर के वरिष्ठ लेखक और इतिहासकार मोहम्मद यूसुफ़ टेंग का भी यही मत है। उनका कहना है कि कश्मीर में इन मुसलमान पंडितों की आबादी क़रीब पचास हज़ार के लगभग होगी। ये सब वे लोग हैं जिन्होंने इस्लाम क़बूल किया है।

टेंग बताते हैं कि ये जो मुसलमान पंडित हैं ये कश्मीर के मूल निवासी हैं। ये बाहरी नहीं है। असली कश्मीरी तो ये पंडित ही हैं। हम मुसलमान भट क्यों लिखते हैं क्योंकि हमने धर्म परिवर्तन किया है। पंडित भी बट लिखते हैं। बट का मतलब है पंडित जिसको हम कश्मीरी में बटा कहते हैं यानी कश्मीर का हिन्दू पंडित। इसी तरह पंडितों में पीर भी हैं जबकि पीर मुसलमान अपने साथ जोड़ते हैं।”

वह ये भी कहते हैं कि कश्मीर में असल नस्ल पंडित नहीं थी बल्कि जैन थे और बाद में बौद्ध थे। इसके के बाद पंडितों का यहाँ राज हो गया।

साभार : बीबीसी हिन्दी

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