न्याय–अन्याय: चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोप

एक 35 साल की महिला ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी सीजेआई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. उसने एक एफिडेविट में लिखा. 22 जजों को भी भेजा. एफिडेविट के मुताबिक सीजेआई रंजन गोगोई ने उसका यौन शोषण किया और इस बात को किसी से न बताने की धमकी भी दी.

एफिडेविट में महिला ने बताया:

-महिला सुप्रीम कोर्ट में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट की पोस्ट पर काम कर रही थी. गोगोई के पद का समय खत्म हो रहा थे. और वो महिला के पर्सनल और ऑफिशियल दोनों तरह की बातों में अपना इंटरेस्ट ले रहे थे.

-एफिडेविट में लिखा है कि महिला को गोगोई ने आवासीय कार्यालय पर ट्रांसफर कर दिया था. उसकी मर्जी के बिना उसे गले लगाया. और उससे भी ऐसा करने को कहा. इस बारे में उसे किसी को न बताने की भी धमकी दी गई. कहा गया कि अगर किसी को बताया तो कुछ भी गलत हो सकता है. ये सब अक्टूबर, 2018 को हुआ था.

-चार हफ्तों में महिला का चार बार ट्रांस्फर करा दिया गया.

-नवंबर, 2018 में उसके खिलाफ अनुशासन यानी डिसिप्लिन में न रहने के चलते कार्यवाही शुरू कर दी गई. आरोप लगाया कि वो अनुशासन में रहकर काम नहीं करती हैं. ऐसा इसलिए किया गया जिससे उनके बार-बार किए गए ट्रांस्फर में सोचा जाए.

-21 दिसंबर, 2018 को उन्हें टर्मिनेट कर किया गया. इतना ही नहीं. महिला के पति और भाई को भी दिल्ली पुलिस की नौकरी से निलंबित कर दिया गया.

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-2019, मार्च में, हरियाणा के झज्जर के रहने वाले नवीन कुमार दिल्ली पहुंचे. तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन पहुंचे. एक एफआईआर दर्ज करवाई. महिला के खिलाफ. उन्होंने जो मामला दर्ज करवाया, उसमें उन्होंने बताया कि महिला ने उसे कोर्ट में नौकरी दिलाने के लिए 50 हजार रुपए लिए और धोखा दे दिया था. जो कि एक रिश्वत थी.

-महिला ने अपने एफिडेविट में इस आरोप को मना किया है. ‘ये सिर्फ मुझे और मेरे परिवार को परेशान करने के लिए किया गया है’, महिला ने बताया. राजस्थान में वह अपने पति के घर पर रह थी. तब 8 मार्च को पुलिस उसे लेने के लिए पहुंची. वो अगले दिन पुलिस स्टेशन गई. पुलिस ने उसके साथ काफी गलत बर्ताव किया. एक दिन जेल में रही. 12 मार्च को उसे जमानत दे दी गई.

-कारवां की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई से इस संबंध में सवालों के लिए फर्रा भेजा गया. लेकिन उन्होंने सभी आरोपों को पूरी तरह से झूठा और डरावना बताया और पूरी तरह से इंकार किया.

 

महिला के मुताबिक़, ऐसे रंजन गोगोई की शुरू हुई पहचान

-मई, 2014. जब महिला सुप्रीम कोर्ट में पहुंची. अदालत की रजिस्ट्री में शामिल हुई. उसे लाइब्रेरी में टाइपिंग और डॉक्यूमेंटेशन का काम करना था. इसके बाद उसे एक जज की अदालत में पोस्ट किया गया.

-2015 में करीब 10 महीने काम किया. फिर और जजों के साथ भी काम करने का मौका मिला. उसका काम ‘अच्छा’ और ‘बहुत अच्छा’ था. एक गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक.

-अक्टूबर, 2016 में उसे रंजन गोगोई की अदालत में भी पोस्ट किया गया. लॉ की पढ़ाई कर रही थी. परीक्षा के लिए उसने 2018 में दस दिन की छुट्टी भी ली. जब वो लौटी तब गोगोई ने बातचीत की. पॉजिटिव रिस्पांस मिलने से महिला खुश थी.

-समय बढ़ा. काम करने लगी. एक दिन गोगोई महिला को देर रात फोन करने लगे. ऑफिस का समय न होने पर भी काल आने लगी.

-एफिडेविट में बताती है कि गोगोई महिला के काम से काफी इम्प्रेस होने लगे. उसकी सराहना करने लगे.

-इसके बाद गोगोई ने महिला से कहा कि उनके जीवन में तीन लोगे हैं बस. एक उनकी पत्नी. उनकी बेटी और एक वो (महिला).

-3 अक्टूबर, 2018 को गोगोई ने 26वें सीजेआई बने. सभी मौजूद थे. गोगोई ने महिला से पूछा परिवार के बारे में. उसने बताया कि पति का भाई नौकरी तलाश रहा है. क्योंकि वो दिव्यांग हैं.

-गोगोई ने सीजेआई के विवेकाधीन कोटा का इस्तेमाल कर नौकरी देने की बात कही.

-9 अक्टूबर को पति के भाई को कोर्ट अटेंडेंट की पोस्ट दी गई. मैं बहुत खुश हुई.

-नवरात्रि का दिन था. मैंने जो कपड़े पहने थे. उसमें मुझे देखकर गोगोई ने तारीफ की. और मुझे गले से लगा लिया.

-फिर दूसरे दिन उन्होंने घर बुलाया और बातों-बातों में उन्होंने मुझे गले लगाया और जोर से पकड़ा. मुझे भी ठीक वैसा करने को बोला. लेकिन मैंने किसी तरह खुद को छुड़ाया और आ गई. फिर सोचा कि यहां कुछ भी हो सकता है. गोगोई ने कहा कि वो इस बारे में किसी को कुछ न बताए.

-महिला के मुताबिक वो डिप्रेशन में चली गई. किसी से बात नहीं करती थी.

-इसके बाद महिला और उसके पति ने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, दिल्ली पुलिस कमिशनर, दिल्ली महिला आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और तमाम लोगों को लेटर लिखा.

-इन आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष बेंच ने सुनवाई की.

 

रंजन गोगोई ने कहा:

“इन आरोपों पर सफाई देने के लिए मुझे इतना नीचे गिरना चाहिए, मुझे नहीं लगता. न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता है. 20 साल से बिना किसी स्वार्थ के सेवा कर रहा हूं. मेरे से ज्यादा पैसे तो चपरासी के खाते में हैं. लोग सीजेआई के ऑफिस को निष्क्रीय करना चाहते हैं. इसलिए ऐसा आरोप लगा रहे हैं. जिन्होंने आरोप लगाया है मुझ पर, वो पहले जेल में थे, अब बाहर आ गए हैं. इसके पीछे कई लोग हैं. और जिस महिला ने मुझ पर ये इल्जाम लगाया है, वो खुद चार दिन जेल में थी. किसी को सुप्रीम कोर्ट में नौकरी दिलाने का झांसा दिया था. शायद इसी वजह से. इस महिला को नौकरी कैस मिल गई, जिसके खिलाफ मुकदमा चल रहा था. इसकी जांच होनी चाहिए.”

 

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