हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने गंगा-जमुना में डाल दी ‘जान’

नैनीताल हाई कोर्टनई दिल्ली। नैनीताल हाई कोर्ट ने सोमवार को एक ऐतहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत अब गंगा और यमुना नदी को जीवित मान लिया गया है। भारत के इतिहास में ये एक अनोखा फैसला माना जा रहा है। हालांकि इससे पहले न्यूजीलैंड के उत्तरी द्वीप पर स्थित वाननुई नदी को भी कानूनी तौर पर जीवित मान लिया गया था। जिसके बाद इस नदी को भी एक जिंदा व्यक्ति सामान कानूनी अधिकार दिए गए हैं।

गंगा नदी को भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में देवी के रूप में निरुपित किया गया है। बहुत से पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं जिनमें वाराणसी और हरिद्वार सबसे प्रमुख हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है।

अनेक पर्वों और उत्सवों का गंगा से सीधा संबंध है। उदाहरण के लिए मकर संक्रांति, कुंभ और गंगा दशहरा के समय गंगा में नहाना या केवल दर्शन ही कर लेना बहुत महत्त्वपूर्ण समझा जाता है।

ऐसा ही कुछ यमुना नदी के साथ भी है। भारतवर्ष की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना गंगा के साथ की जाती है। यमुना और गंगा के दो आब की पुण्यभूमि में ही आर्यों की पुरातन संस्कृति का गौरवशाली रूप बन सका था।

ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्वपूर्ण नदी है। जहां तक ब्रज संस्कृति का संबध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्ध कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है।

बता दे वाननुई नदी भी न्यू जीलैंड की तीसरी सबसे लंबी नदी है। ये नदी न्यू जीलैंड के माओरी जनजाति के लोगों के लिए काफी अहमियत रखती है। 1870 के दशक से ही माओरी जनजाति के लोग वाननुई नदी के साथ अपने अनूठे संबंधों को पहचान और स्वीकृति दिए जाने की कोशिश कर रहे हैं।

जिसके बाद अभी कुछ समय पहले ही माओरी जनजाति के लोगों की नदी के प्रति आस्था को देखते हुए न्यू जीलैंड की सांसद ने वाननुई को जीवित व्यक्ति सामान अधिकार दिए हैं।

फैसले के मुताबिक वाननुई का एक प्रतिनिधि बनाए जाने का आदेश दिया गया था जो नदी में होने किसी भी समस्या के खिलाफ कानून से मदद ले सकता हैं।

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