
भुवनेश्वर| नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने शुक्रवार को भरोसा दिलाया कि वह कस्तूरी की कमी के मुद्दे पर अपने देश की सरकार के साथ बात करेंगी। कस्तूरी को हिरण की नाभि से इकट्ठा किया जाता है। कस्तूरी एक सुगंधित पदार्थ है। इसका उपयोग पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अनुष्ठान में किया जाता है। इसका उपयोग रथ यात्रा के समय पीठासीन देवताओं के ‘मुख श्रृंगार’ के लिए किया जाता है।
नेपाल की राष्ट्रपति करेंगी उपाय
भंडारी ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा कि वह मंदिर प्रशासन के सामने मौजूद इस संकट को हल करने के लिए उपाय करेंगी।
उन्होंने कहा, “भगवान जगन्नाथ का दर्शन करके मैं अति प्रसन्न हूं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुझे आमंत्रित किया और मैं केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा की गई व्यवस्थाओं के लिए आभारी हूं।”
देवताओं की पूजा करने के बाद उन्होंने मीडिया से कहा, “मैं कस्तूरी की कमी के मुद्दे पर नेपाल सरकार से बात करूंगी।”
बारहवीं शताब्दी का यह मंदिर नेपाल के राजाओं से अपनी जरूरत के लिए दान पाता रहा है। नेपाल लंबे समय से भगवान जगन्नाथ की सेवाओं में बहुमूल्य दान देता रहा है।
नेपाल का शाही परिवार मुफ्त में कस्तूरी दान देता रहा है। हालांकि, राजशाही की समाप्ति के बाद यह स्रोत बंद हो गया।
मंदिर के अधिकारी शुद्धता की वजह से नेपाल की कस्तूरी को प्राथमिकता देते हैं। इससे पहले ओडिशा सरकार केंद्र से नेपाल से कस्तूरी की खरीद सुनिश्चित करने का आग्रह कर चुकी है।
उल्लेखनीय है कि पुरी के शंकराचार्य व ओडिशा के गजपति राजा के अलावा नेपाल के राजा को रत्न वेदी (वेदी जिस पर जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा स्थापित है) पर चढ़ने की इजाजत है।