
नई दिल्ली। हाल ही में मैक्सिको में खत्म हुए आईएसएसएफ विश्व कप में भले ही युवा निशानेबाज मनु भाकेर दो स्वर्ण पदक जीतें हों, लेकिन मनु शुरू से ही निशानेबाजी नहीं करती थी। उन्होंने निशानेबाजी से पहले कई खेलों पर अपना हाथ आजमाया है। मनु निशानेबाजी से पहले, मार्शल आटर्स, जूडो, मुक्केबाजी जैसे खेल खेल चुकी हैं और सफलता हासिल करने के बाद किन्हीं कारणों से उन्होंने इन खेलों को छोड़ दिया था। इस बात की जानकारी उनके पिता ने दी। स्वर्ण पदक विजेता मनु…
16 साल की मनु ने विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर पिस्टल और 10 मीटर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल कर सुर्खियां बटोरी हैं। वह अगले महीने से आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में खेले जाने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
भारत लौटने पर भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) द्वारा आयोजित एक समारोह में शुक्रवार को मनु के पिता रामशरण सिंह भाकेर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मनु मूडी है और उसे हारना पसंद नहीं है।
उन्होंने कहा, “उसे हारना पसंद नहीं है। कभी जब वो हार जाती है तो उसका मुंह देखने लायक होता है।”
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मनु ने इस साल 11वीं परीक्षा दी है और इतनी छोटी सी उम्र में उन्होंने काफी कुछ हासिल कर लिया है। वह पढ़ाई में भी अच्छी है। उनके पिता कहते हैं कि मनु को हार चुभती है और जब हार जाती है तो काफी गुस्सा होती है।
उनके पिता कहते हैं, “उन्होंने अप्रैल 2016 से निशानेबाजी शुरू की। उससे पहले वह कई अन्य खेल खेलती थी। आप नाम लें और वो खेल उसने खेला होगा। वो हरफनमौला खिलाड़ी जैसी है। इससे पहले वो जूडो-कराटे खेलती थीं, लेकिन समय के कारण उसने यह खेल छोड़ दिया। उसकी बोर्ड की परीक्षा थी और इन सभी खेलों में काफी मेहनत और समय लगता है जिससे पढ़ाई पर असर पड़ता है और अपने आप को पढ़ाई में अच्छा साबित करना चाहती थीं, इसलिए छोड़ दिया।”
उनके पिता ने कहा, “उसने मुझसे खेल छोड़ने के बारे में भी कहा, जो मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी। मैंने कहा तो अब कौन सा खेल, तो उसने कहा कि पता नहीं।”
मनु के निशानेबाजी की शुरुआत उनके स्कूल यूनिवर्सल स्कूल गोरिया से हुई। इसी स्कूल में उनकी मां प्रिंसिपल हैं।
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मनु के पिता बताते हैं, “स्कूल में जाकर मैंने शूटिंग रेंज देखा और मनु ने रेंज में 7 या 8 का निशान साधा। तो वहां के कोच ने कहा कि खिलाड़ी काफी दिनों बाद इस स्कोर पर पहुंचते हैं, लेकिन इसने पहली बार में ही यह स्कोर हासिल कर लिया। इसके बाद सभी तरफ से उसे तारीफें मिलने लगीं और इस तरह उसने निशानेबाजी की शुरुआत की।”
मनु ने मार्शल आटर्स में भी अपने हाथ आजामाएं हैं, लेकिन इस खेल में उनके साथ बेईमानी हुई और इसलिए उन्होंने यह खेल छोड़ दिया।
उन्होंने कहा, “दिल्ली में स्कूल गेम्स में वो खेल रही थी। नियमों के हिसाब से वो जीत गई थी लेकिन रेफरी ने उसकी विपक्षी को विजेता घोषित कर दिया और इसके बाद उसने इस खेल को न कहा दिया। इसके बाद उसने कराटे शुरू किए और फेडरेशन कप में उसने रजत पदक जीता था।”
इन दोनों खेलों से पहले मनु मुक्केबाजी करती थी, लेकिन आंख में चोट के कारण उन्होंने मुक्केबाजी को न कह दिया।
मनु के पिता के अनुसार, “जब वह 10-11 साल की थी तब मुक्केबाजी करती थी। एक दिन अभ्यास के दौरान उसे आंख में चोट लगी और उसकी मां ने उसे यह खेल खेलने से मना कर दिया। वह मुक्केबाजी में पदक जीत चुकी है और आप जानते हैं कि हरियाणा में मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली में कितना दम होता है।”