सुप्रीम कोर्ट के फांसी के फैसले से खफा हुई निर्भया, बोली- आसान मौत नहीं, जैसी मेरी चाहत है वैसे मारो…
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया के साथ बलात्कार करने वाले दोषियों को हाई कोर्ट से मिली फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखी है। इन चारों दरिंदों को फांसी की सजा मिलते ही हर किसी के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई। पर शायद ये दर्दनाक मंजर झेलने वाली निर्भया को अभी भी सूकून नहीं मिला है। क्योंकि निर्भया तो इन अपराधियों को फांसी की सजा देना ही नहीं चाहती थी। निर्भया ने इन दरिंदों को कुछ अलग ही सजा देने की इच्छा के साथ अपनी आंखें बंद कर ली।
निर्भया ने जाहिर की थी इच्छा
दरिंदों का शिकार होने के बाद टूट चुकी और दर्द से तड़पती निर्भया ने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर की थी कि उसके बलात्कारियों को अपने किए की सजा मिलनी चाहिए, उन्हें केवल फांसी पर नहीं लटकाया जाए बल्कि जिंदा जला देना चाहिए।
तत्कालीन सब-डिविजनल मैजिस्ट्रेट ऊषा चतुर्वेदी ने निर्भया की मौत से पहले उसके बयान दर्ज किए थे। शुक्रवार को उन्होंने निर्भया के आखिरी बयान को याद करते हुए कहा, ‘आज मैं बहुत खुश और संतुष्ट हूं कि इन लोगों को फांसी की सजा मिलेगी। निर्भया ने अपना आखिरी बयान भारी पीड़ा के साथ दिया था।’
ऊषा ने 21 दिसंबर को उसके पहले ऑपरेशन के बाद कुछ देर के लिए बात की थी। उन्होंने बताया कि निर्भया ने अपनी बात भारी नाराजगी और घृणा के साथ रखी थी। ऊषा ने कहा, ‘निर्भया का आखिरी बयान 4 पेज का है जो उसने एक बार में ही दिया था। इतने दर्द में होते हुए भी उसने कहा था कि बलात्कारियों को केवल फांसी पर ही नहीं लटकाया जाना चाहिए बल्कि उन्हें जिंदा जला देना चाहिए।’
देश का कानून और प्रशाशन ही कौन सा निर्भया को समुचित न्याय दिला सका है? निर्भया के क्रूरतम अपराधी को छोड़ अन्य अभियुक्तों को फांसी देकर न्याय की भरपाई करने की कोशिश मात्र है – एक क्रूरतम अपराधी जिसकी उम्र 17-17.5 साल रही उसे सुधारग्रह मे केवल 3 साल की सजा के तौर पर भेजा गया।
अपने फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के आखिरी बयान के बारे में कहा है कि इस इसी के जरिए जांचकर्ता आरोपियों को पकड़ने में सफल हुए और उन्होंने केस तैयार किया। फैसले के मुताबिक, हर बार बचाव पक्ष के वकीलों ने सरकारी पक्ष के केस पर शक जताते हुए अमीकस क्यूरी दायर की लेकिन बेंच ने निर्भया के आखिरी बयान को मामले का मुख्य आधार बना लिया।
निर्भया के बयान के बारे में फैसले में कहा गया, ‘ऐसा कहना कि बुरी हालत में पीड़िता का आखिरी बयान नहीं माना जाना चाहिए, यह गलत है। बयान की गवाही देने वाले हमेशा निर्भया के आखिरी बयान के पक्ष में खड़े रहे इसलिए इस पर शक नहीं किया जा सकता।’
फैसले में निर्भया के दिए गए तीनों बयानों पर विचार किया गया। निर्भया ने पहला बयान अपना इलाज कर रहे डॉक्टर को, दूसरा एसडीएम चतुर्वेदी को और तीसरा बयान इशारों में मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट को दिया था। वहीं, आरोपियों ने कहा था कि निर्भया इतना लंबा चार पेज का बयान नहीं दे सकती क्योंकि वह ऑक्सीजन पर थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया।