यदि आपको हनुमान जी का नारी स्वरूप देखना है तो, जरूर जाएं यह मंदिर
हिंदू धर्म में बहुत सारे देवी और देवता है। इन सभी में भगवान हनुमान का विशेष स्थान है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान हुनमान बचपन से ही बाल बृह्मचारी थे। वह स्त्रियों को माता और बेहन मानते थे। उन्होंने कभी विवाह भी नहीं किया था। पुराणों में ऐसा भी कहा गया है कि भगवान हनुमान की पूजा केवल पुरुष ही कर सकते हैं। महिलाओं को भगवान हनुमान को छूने की इजाजत भी नहीं है। हालाकि महिलाएं भगवान हनुमान का व्रत या पूजा कर सकती हैं। भारत में भगवान हनुमान के कई मंदिर है। इनमें भगवान अपने अलग-अलग स्वरूप में पूजे जाते हैं। मगर, भारत में भगवान हनुमान का एक अनोखा मंदिर है। यहां भगवान हनुमान नारी रूप में पूजे जाते हैं। जी हां, आपने सही सुना हनुमान जी नारी स्वरूप भी है।
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जी हां, यह मंदिर मध्यप्रदेश स्थित ओरछा के नजदीक रतनपुर गांव में है। यहां पर हनुमान जी का स्वरूप महिलाओं जैसा है। कहते हैं कि दुनिया भर में मौजूद हनुमान जी के मंदिरों में यह एक ही अनोखा मंदिर है जहां हनुमान जी ने नारी का स्वरूप धारण कर रखा है। यह के लोकलाइट्स का कहना है कि यह मंदिर 10 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है और यहां हमेशा से हनुमान जी की प्रतिमा को नारी रूप में ही देखा गया है।
क्या है कहानी
वैसे तो कई धार्मिक किताबों में इस बात का जिक्र मिलता है कि भगवान हनुमान जी नारी स्वरूप में भी पूजे जाते हैं मगर प्रमाण की बात की जाए तो यह अनोखा मंदिर इस बात को सच साबित करता है कि पुराणों में लिखी बात सत्य है। मगर इस मंदिर के पीछे एक कहानी है। दरअसल मंदिर का निमार्ण 25 किलोमीटर दूर बिलासपुर के राजा पृथ्वी देवजू ने कराया था। राजा को कोढ़ की बीमारी थी। इस वजह से वह न तो किसी को छू पाता था और न ही अपनी वासना की इच्छा को पूरा कर पाता था। राजा भगवान हनुमान का बड़ा भक्त भी था। परेशान राजा हमेशा सुंदर महिलाओं के सपने देखता था। मगर असल जीवन में वह न तो शादी कर सकता था न किसी महिला को छू सकता था। एक दिन सपने में उसे एक ऐसी महिला दिखी जो, दिखने में महिला जैसी तो थी मगर उसका स्वरूप भगवान हनुमान से मिलता जुलता था। सपने में राजा ने देखा कि हनुमानी जी जैसी दिखने वाली महिला ने उससे अपना एक मंदिर बनवाने की बात कही है और मंदिर के पीछे एक तालाब का निमार्ण करने को कहा है। साथ ही उसने यह भी कहा कि तालाब में नहाने से उसका रोग दूर हो जाएगा। दूसरे दिन उठ कर राजा ने सपने में देखी मूरत जैसी ही प्रतिमा बनवाने के आदेश दिए और एक मंदिर और तालाब का निमार्ण भी करवाया और पूरे विधिविधान के साथ हनुमान जी की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करवाया। उस दिन के बाद से इस मंदिर में भगवान हनुमान के इसी स्वरूप की पूजा होती है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां भगवान हनुमान जी की प्रतिमा का श्रृंगार पूरी तरह से महिलाओं के जैसा किया जाता है। उन्हें जेवर भी महिलाओं वाले ही पहनाए जाते हैं। यहां तक कि हनुमान जी प्रतिमा को नथ भी पहनाई गई है।
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कुछ ही दूरी पर है एक मंदिर जहां भगवान राम करते हैं राज
हनुमान जी के इस अनोखे मंदिर के पास ही एक और अनोखा मंदिर है। यह मंदिर उन्हीं के परमपूज्य भगवान राम का है। इस मंदिर की कई खासियतें हैं। सबसे बड़ी खासियत तो यही है कि इस मंदिर में भगवान राम को भगवान नहीं बल्कि राजा के तौर पर पूजा जाता है। यहां परंपरा है कि मंदिर के पट खुलते ही सेना के जवान उन्हें सलामी देते हैं। यह मंदिर एक समय में बुंदेलखंड की राजधानी कहे जाने वाले ओरछा में है। घने जंगलों और प्राकृतिक खुबसूरती से घिरा यह मंदिर वेतवा नदी के तट पर है।
मंदिर से जुड़ी कहानी
कहते हैं कि ओरछा की रानी रानीकुवांरी भगवान राम की बड़ी भक्त थीं और राजा भगवान कृष्ण के भक्त थे। राजा रानी को हमेशा वृंदावन ले जाना चाहते थे मगर वह हमेशा अयोध्या जाती थीं। एक दिन मजाक में राजा ने रानी को बोला कि तुम इतनी बड़ी भक्त हो तो अपने भगवान राम को यहां ले आओ। रानी ने राजा के मजाका को गंभीरता से लिया और अयोध्या से भगवान राम को यहां लाने की ठान ली। इसके बाद रानी ने ओरछा में अपने किले के सामने ही मंदिर का निर्माण कराया और फिर अयोध्या जा कर सरायु नदि के तट पर बैठ कर तपस्या करने लगी। बहुत दिन बीत गए मगर भगवान राम ने उन्हें दर्शन नहीं दिए। इसके बाद रानी ने थक कर अपने प्राण त्यागने की कोशिश की तब ही एक बच्चे के रूप में भगवाना राम ने रानी को दर्शन दिए। रानी ने जब भगवान राम से अपने साथ चलने को कहा तो उन्होनें रानी के आगे शर्त रखी कि कुछ भी हो जाए ओरछा में उन्हें राजा का स्थान चाहिए। रानी ने भगवान राम की बात मान ली और उन्हें अपने साथ ओरछा ले आई। तब से इस मंदिर में भगवान राम की पूजा राजा के रूप में की जाती है। यह भी कहा जाता है कि भगवान राम को ओरछा इतना पसंद है कि वह सुबह अयोध्या और शाम को ओरछा में रहते हैं।
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कैसे पहुंचे
झांसी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओरछा गांव तक रेल मार्ग और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए पहले झांसी आना होगा फिर यहां पर ओरछा जाने के लिए बहुत सारी बसें और जीप मिलती हैं, जो घंटे भर में ओरछा पहुंचा देती हैं।