नागा साधुओं के गुस्से से जुड़े कुछ तथ्य, जिन्हें जानना आपके लिए है बहुत जरूरी…

भस्म से सुशोभित नग्न शरीर, गले और बाजुओं पर रुद्राक्ष, लाल आँखें, बिखरी जटाएं, हाथ में चिलम, भगवान शिव की आराधना और ॐ नमः शिवाय का जाप। ये सभी बिंदु ऐसे है जिसकी कल्पना एक आम आदमी को आश्चर्य में डाल सकती हैं।

 

कई सारे मठों, मंदिरों, गिरजों, गुरुद्वारों से घिरे भारत में ऐसी बहुत सारी चीज़ें मौजूद हैं जिनको देखकर कोई भी व्यक्ति दांतों तले अंगुली दबाने के लिए विवश हो जायगा।

नागा साधु हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं जो कि नग्न रहने के अलावा युद्ध कला में माहिर होते हैं। सभी नागा साधु विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं जिनकी परम्परा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी थी।

 

नागा साधु समाज की मुख्य धारा से दूर आश्रमों या फिर एकांत में वास करना पसंद करते हैं। इनका जीवन बड़े अनुशासन में बीतता है अतः ये भी आम जनजीवन से दूर कठोर अनुशासन में रहते हैं।

नागा साधुओं के गुस्से से जुड़े कुछ तथ्य

आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा हिन्दू हितों की रक्षा के लिए निर्मित इस टुकड़ी के विषय में मान्यता है कि भले ही ही दुनिया अपना रूप बदलती रहे लेकिन शिव और अग्नि के ये भक्त इसी स्वरूप में रहेंगे।

नागा साधुओं के गुस्से से सम्बंधित तथ्य

नागा साधु अपने क्रोध के लिए जाने जाते हैं। इनके गुस्से के बारे में प्रचलित मान्यता ही भीड़ को इनसे दूर रखती है। वास्तविकता पर नज़र डालें तो मिलता है कि शायद ही कभी किसी व्यक्ति को नागा साधु द्वारा नुकसान पहुंचाया गया हो।

लेकिन हां, यदि आप इन्हें बिना कारण उकसाए या परेशान करें तो इनका क्रोध विकराल रूप धर लेता है।

 

किसी भी नागा साधु को लम्बे समय तक ब्रह्मचारी के रूप में रहना होता है, फिर उसे महापुरुष तथा फिर अवधूत बनाया जाता है। अन्तिम प्रक्रिया महाकुम्भ के दौरान होती है जिसमें उसका स्वयं का पिण्डदान तथा दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है।

नागा साधुओं ने हमेशा ही अपने श्रृंगार और स्टाइल के चलते लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। गौरतलब है कि भस्म, त्रिशूल, तलवार, शंख और चिलम से वे अपने सैन्य दर्जे और सौंदर्य को दर्शाते हैं।

जी हां बिल्कुल सही सुना आपने। प्रायः ये देखा गया है कि नागा साधु कुम्भ के दौरान अपने जलवे से लोगों को मोहित कर आश्चर्य में डाल देते हैं।

कभी सोचा है कि क्यों जटाएं रखते हैं नागा साधु, वजह है बेहद खौफनाक…

नागा साधुओं को लेकर कुंभ मेले में बड़ी जिज्ञासा और कौतुहल रहता है, खासकर विदेशी पर्यटकों में। कोई कपड़ा ना पहनने के कारण इन्होंने हमेशा ही विदेशियों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है।

दिगंबर नाम से लोकप्रिय नागा साधु आकाश को ही अपना वस्त्र मानते हैं। कपड़ों के नाम पर पूरे शरीर पर धूनी की राख लपेटे ये साधु कुम्भ मेले में सिर्फ शाही स्नान के समय ही खुलकर श्रद्धालुओं के सामने आते है।

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