
इसी महीने की 15 तारीख से उत्तर प्रदेश ले प्रयागराज में कुम्भ मेला शुरू होने वाला है और महीनों पहले से इसकी तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं, आपको बता दें कि कुम्भ मेले में देश और दुनियाभर से तमाम लोग आते हैं जो गंगा में शाही स्नान करते हैं।
कहते हैं कुंभ के दौरान गंगा में स्नान करने से इंसान के पाप धूल जाते हैं। यह वो मौक़ा होता है जब लोग लाखों की संख्या में यहां जुटते हैं। कुंभ के दौरान यहां का एक और आकर्षण होता है और वो है नागा साधू जिन्हें देखने के लिए विदेशी टूरिस्ट भी यहां आते हैं।
दरससल नागा साधुओं की दुनिया रहस्यों से भरी होती है ऐसे में हम आज आपको इन रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
साधुओं का बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं होता है और ये अलग-थलग रहकर अपना जीवन गुजारते हैं।
नागा साधुओं की ज़िंदगी कठिनाइयों से भरी होती है और आम इंसान ऐसी ज़िंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकता, इसके बावजूद नागा साधुओं को कभी किसी बात से मतलब नहीं रहता साथ ही सुख-दुःख इन लोगों के लिए बराबर होते हैं।
नागा साधुओं की हमेशा लंबी जटाएं होती हैं और ये चेहरे पर भभूत लगागर निकलते हैं।
जटाओं पर लगाते हैं ये चीज़
जानकारी के अनुसार अखाड़ों के वीर शैव नागा संन्यासियों को अपनी लंबी जटाओं को बिना किसी भौतिक सामग्री उपयोग किए हुए खुद रेत और भस्म से ही संवारना पड़ता है।
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बता दें कि इन साधुओं की जटाएं 10 फ़ीट तक लंबी होती है और इतनी लंबी जटाएं बढ़ाने में एक इंसान को 30 से 40 साल तक का वक्त लगता है।
जटाओं को संभालना बेहद ही मुश्किल काम होता है लेकिन नागा साधू बड़ी ही बखूबी से इस काम को करते हैं। नागा साधुओं के सत्रह श्रृंगारों में पंच केश का बहुत महत्व है। इसमें बालों को 5 बार घुमा कर लपेटा जाता है।