नागरिकता संशोधन के विरोध में सैकड़ों लोगों ने निकाली रैली, रखी अपनी ये मांग

REPORTER-UMAKANT

मऊ – मऊ जिले में मऊ नागरिकता मंच के तत्वाधान में सीएए और एनआरसी के विरोध में विशाल प्रतिवाद सभा का आयोजन कलेक्ट्रेट में हुआ। जिसमें भाजपा को छोङ कर सभी राजनीतिक पार्टीयों सहित तमाम संगठनों और अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान जिले के कोने कोने से सैकङों की संख्या में लोग रैली निकाल कर प्रतिवाद सभा में सामिल हुये। साथ ही सीएए और एनआरसी का विरोध करते हुए जिलाप्रशासन के माध्यम से सरकार और देश की सर्वोच्च न्यायालय तक अपनी मांग प्रस्तुत किया।

दरअसल विरोध प्रदर्शन में भाजपा को छोङ सपा, बसपा, काग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दलों और संगठनों ने मऊ नागरिकता मंच द्वारा आयोजित प्रतिवाद सभा का समर्थन करते हुए हिस्सा लिया। जिले के कोने कोने से रैली के माध्मय से अपना विरोध दर्ज करवाते हुए कलेक्ट्रेट के सभा तक पहुचे। साथ ही हाथों में तिरंगा लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान मऊ नागरिकता मंच के अध्यक्ष अरविन्द मूर्ति ने कहा कि यह सीएए और एनआरसी का संसोधन स्वामी विवेकानन्द के आत्मा की हत्या करता है।

विवेकानन्द जी ने 1893 में शिकागों की एक धर्म सभा के दौरान कहा था कि हम उस देश का निवासी होने का गर्व करता हूँ। जिस देश ने सभी देशों में धर्मों से ठुकराये हुए लोगों का सहारा दिया। उसे कानूनी रुप से यह संसोधान अमान्त करता है। इसलिए हम लोग विवेकानन्द जी के अरमानों के लिए, देश की एकता के लिए, देश के संविधान के लिए इस संसोधान कानून का विरोध करने के लिए जुटे है।

वही सपा नेता व पूर्व नगर पालिका चेयरमैन ने कहा कि सरकार कोई भी कानून बनाये वह संविधान और तर्क संगत होना चाहिए। मजहब के नाम पर कानून बनाया जाना गलत है। अगर नागरिकता देनी है तो सभी को दीजीए। असम में जो पांच लाख मुस्लमान है, उनको नागरिकता कैसे मिलेगी। सीएए के तहत असम को अलग कर दिया गया है। तो उसमें जो 14 लाख हिन्दू है, उनको कैसे नागरिकता देंगे।

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हमारे देश में रहने वाले लोगों को ही शरणार्ती कहना होगा। शर्मकी बात यह है कि जो लोग अपने नागरिक होने का सबूत नही दे पायेगे, वो शरणार्थी हो जायेगे और उनको कहना पङेगा कि हम पाकिस्तान और बाग्लादेश से आय़े है। तब उनकी नागरिकता मिलेगी। मेरे ही देश में मेरे पुर्खा पुरनिया यही जन्मे और यही दफन हुए। यही उनकी अर्थियां नदियों में बहाई गयी। उनकी ही नस्लों से अब कह रहे हो कि वो अपने नागरिक होने का सबूत दे। हम किसी भी तरह का कोई सबूत नही देगे और सरकार को यह कानून वापस लेना होगा।

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