अमेरिका और भारत के बीच असैन्य परमाणु सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक अहम सहमति हुई है। अमेरिका द्विपक्षीय असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत में छह परमाणु संयंत्र बनाने के लिए राजी हो गया है। साथ ही अमेरिका ने यह भी कहा कि वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का समर्थन करेगा।
भारत-अमेरिका रणनीतिक सुरक्षा वार्ता के नौवें दौर के पूरा होने के बाद बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई। संयुक्त बयान में दोनों देशों ने कहा, ‘हम द्विपक्षीय सुरक्षा और असैन्य परमाणु कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें भारत में छह अमेरिकी परमाणु संयंत्र का निर्माण भी शामिल है।’ भारत के विदेश सचिव विजय गोखले और अमेरिका की उप विदेश मंत्री आंद्रिया थॉम्पसन ने इस संयुक्त बैठक की सह अध्यक्षता की।
हालांकि, संयुक्त बयान में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं दी गई। लेकिन भारत में अमेरिका के इस रुख से तमाम संभावनाएं पैदा होती हैं। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने वैश्विक सुरक्षा, अप्रसार की चुनौतियों समेत विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। साथ ही अमेरिका ने 48 सदस्यीय एनएसजी में भारत को शीघ्र सदस्य बनाने की अपनी प्रतिबद्धता एक बार फिर दोहराई। बताते चलें कि एनएसजी में भारत की सदस्यता की राह में चीन रोड़े अटकाता आया है।
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2008 में हुआ था ऐतिहासिक समझौता
आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल खरीददार भारत में तमाम संभावनाएं देख रहा है और इसी कड़ी में वह भारत को और ऊर्जा उत्पाद बेचना चाहता है। भारत और अमेरिका ने असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को लेकर 2008 में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस सौदे ने भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों को एक मजबूती प्रदान की थी, जो समय के साथ और मजबूत हो गया।
2008 में दोनों देशों के बीच हुए इस ऐतिहासिक सौदे में भारत को विशेष छूट दी गई थी। इसी छूट के चलते भारत अमेरिका के अलावा फ्रांस, रूस, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, ब्रिटेन, जापान, वियतनाम, बांग्लादेश, कजाखिस्तान और दक्षिण कोरिया के साथ असैन्य परमाणु समझौता करने में कामयाब हुआ।