दुबई को टक्कर दे रहा है, वो शहर जो ख़ूबसूरती में है बेमिसाल..

दुबई दुनिया का ऐसा कॉस्मोपॉलिटिन शहर है, जहां एक आरामदेह ज़िंदगी जीने की तमाम सहूलतें मौजूद हैं.

यहां दुनिया भर से आकर लोग काम करते और रहते हैं. यहां रहने बसने की बहुत से लोगों की ख़्वाहिश होती है. यहां की इमारतें दुनिया भर में मशहूर हैं. बुर्ज ख़लीफ़ा ऐसी बहुमंज़िला इमारत है, जहां दुनिया भर के सेलेब्रिटी ने घर ख़रीद रखा है.

दुबई को टक्कर दे रहा है, वो शहर जो ख़ूबसूरती में है बेमिसाल..

लेकिन शायद आपको पता नहीं कि दुबई से भी ज़्यादा ख़ूबसूरत एक और शहर है. जिसका नाम है रॉटर्डम.

ये यूरोप के देश हॉलैंड का शहर है. किसी ज़माने में ये दुनिया का सबसे व्यस्त बंदरगाह हुआ करता था.

रॉटर्डम के बहुत से रूप हैं. यहां दिन गुलज़ार होते हैं और रातें रंगीन होती हैं.

ऐश की ज़िंदगी जीने का हरेक सामान यहां मौजूद है. लेकिन इस शहर की सबसे बड़ी ख़ासियत है यहां कि इमारतें जो एकदम नए अंदाज़ में बनाई गई हैं.

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अगर आप हॉलैंड जाएं तो आपको एक बार रॉटर्डम ज़रूर जाना चाहिए. और रेल से सफर करना चाहिए. जैसे ही आप स्टेशन पर पहुंचेंगे यहां की ख़ूबसूरती को नज़रों में बसाए बग़ैर नहीं रह पाएंगे. कांच, लकड़ी और स्टील की मदद से ये स्टेशन तैयार किया गया है. इस स्टेशन की रॉटर्डम में वही हैसियत है, जो टोरेंटो में वहां के सिटी हॉल की है.

रॉटर्डम को यूरोप का ‘आर्किटेक्चरल टेस्ट किचन’ कहा जाता है. दुबई या दोहा जैसे शहर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक देशों के तौर पर एक मंसूबे के तहत बनाए और बसाए गए थे. लेकिन रॉटर्डम शहर मध्य युग में अपने क़ुदरती बंदरगाह की वजह से विकसित हुआ.

शहर ने शानदार इमारतों के मामले में धीरे-धीरे तरक़्क़ी की है.

जैसे-जैसे यहां के लोगों की ज़रूरत बढ़ती गई वैसे-वैसे यहां नई-नई एकदम अलग तरह की इमारतें तामीर की जाती रहीं.

आज रॉटर्डम किसी भी शख़्स के रहने के लिए ड्रीम सिटी हो सकता है.

ये दुनिया के बेहतरीन शहरों में से एक है. जिधर नज़र उठाईए आसमान छूती इमारतें नज़र आएंगी. यहां ट्रांस अमेरिका पिरामिड है, जोकि 48 मंजिला इमारत है.

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फिर डिज़नीलैंड कांसर्ट हॉल भी यहां मौजूद हैं.

इसी तरह और दर्जनों इमारतें हैं जिन्हें देखकर आप इंसान की क़ाबिलियत और कल्पनाशीलता की तारीफ़ किए बग़ैर नहीं रह पाएंगे.

लेकिन, आज से क़रीब 75 साल पहले रॉटर्डम में भयंकर तबाही मची थी. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की वायुसेना ने रॉटर्डम पर हवाई हमला करके उसे पूरी तरह से तबाह कर दिया गया था. रॉटर्डम उस वक़्त दुनिया का सबसे बड़ा बंदरगाह था.

जर्मन हवाई हमले ने यहां ऐसी आग बरसाई की 25 हज़ार से ज़्यादा घर और इमारतें तबाह हो गईं. 250 हेक्टेयर ज़मीन बर्बाद हो गई. 11 हज़ार कारोबारी इमारतें राख के ढेर में तबदील हो गईं. रॉटर्डम पूरी तरह से नेस्तो-नाबूद हो गया. करीब पांच दिन तक ये आग शहर को उस वक़्त तक झुलसाती रही, जब तक कि जलने को कुछ बाक़ी ना रहा.

जब शहर को दोबार बनाने का फैसला लिया जा रहा था तो कुछ सुझाव ऐसे भी आए कि रॉटर्डम की पुरानी ख़ूबसूरती को फिर से संजोने की कोशिश हो. तर्क था कि आने वाली नस्लों को अपना इतिहास पता रहे. उन्हें पता रहे कि उनके घर उजड़ने से पहले भी वैसे ही थे.

लेकिन ऐसा शहर बसाने पर इत्तिफ़ाक़ हुआ जो एकदम नए तेवर वाला और नए अंदाज़ वाला हो, जिसे दुनिया देखे. इस शहर को बनाने का ज़िम्मा आर्किटेक्ट विलियम विटवीन को दिया गया.

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रॉटर्डम को एम्सटर्डम का जुड़वां शहर कहा जाता है. इसके मुख्य रेलवे स्टेशन के बाहर दो इमारतें हैं, जिनकी वास्तुकला 20वीं और 21वीं शताब्दी की है. एक इमारत का नाम है क्यूब्यूसवॉनिंजिन, जिसे पीट ब्लूम नाम के आर्किटेक्ट ने 1980 में बनाना शुरू किया था.

ये बिल्डिंग 1984 में बनकर तैयार हुई थी. इस इमारत में कुल 39 घर हैं जो घनाकार में बने हैं.

दूसरी इमारत का नाम है मार्कथल जिसे 2014 में तैयार किया गया है. ये घोड़े की नाल की शक्ल वाली बिल्डिंग है. इसमें घर भी हैं और बाज़ार भी है. इस बाज़ार में ज़रूरत की हरेक चीज़ मिलती है. साथ ही यहां रेस्टोरेंट भी हैं जहां बैठकर खाने का मज़ा लिया जा सकता है.

रॉटर्डम में ट्राम की सवारी का मज़ा लिया जा सकता है. ट्राम स्टॉप के पास ही एक और बिल्डिंग है जिसकी खिड़कियां विषम चतुर्भुज आकार की हैं. और हरेक माले पर खिलड़कियों का आकार बदलता रहता है.

इसके अलावा एक और ऑफिस बिल्डिंग है, जिसमें इटेलियन रेस्टोरेंट हैं. एक टेक कंपनी ने दावा किया है कि वो अपने लिए एक नई बिल्डिंग तैयार करने वाले हैं जिसका आकार रेत घड़ी के जैसा होगा. रॉटर्डम में जितनी भी नई बिल्डिंग बनाई गई हैं उन सभी का नामकरण इन्हें बनाने वाले आर्केटेक्ट के नाम पर किया गया है.

वास्तुकला के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए रॉटर्डम डिज़नीलैंड की तरह है. हालांकि आम तौर पर हम इमारतों के बनावट पर ध्यान नहीं देते हैं लेकिन रॉटर्डम में आने के बाद यहां कि इमारतों की तारीफ़ किए बिना आप नहीं रह पाएंगे. और ख़ुद से ये सवाल ज़रूर करेंगे कि ऐसी इमारतें हमारे शहर में क्यों नहीं बन सकतीं.

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