दीपावली पर विदेशी मेहमान बच्चों को सिखा रहीं योग, दे रहीं ये संदेश

रिपोर्ट-आदर्श त्रिपाठी

हरदोई – दुनिया में अगर संस्कृति की बात हो और भारतीय संस्कृति का नाम ना आए तो यह नामुमकिन ही होगा क्योंकि भारतीय संस्कृति और सभ्यता आज भी दुनिया भर के लिए एक नजीर है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग को प्रचारित करने से प्रभावित हरदोई में रूस से आए विदेशी मेहमान योग सीखने के बाद अब स्कूली बच्चों को योग के गुर सिखा रहे हैं और उन्हें स्वस्थ रहने का संदेश दे रहे हैं।

रूस से आई याना और नताशा को भारतीय संस्कृति से अपार प्रेम है इनमें याना ने भारतीय संस्कृति को अपनाया है और उन्हें हिंदू धर्म से विशेष लगाव है नताशा बताती हैं कि उन्हें भारतीय संस्कृति से बहुत लगाव है और वह अपने घर में भारतीय संस्कृति के माहौल में ही रहना चाहती हैं।ताकि उन्हें अपने घर जाने के बाद भारतीय संस्कृति की तरह जीने का मौका मिले।

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में पिछले 2 दिनों से रूस के मास्को शहर से भारत भ्रमण पर आई नताशा और याना योग का संदेश दे रही हैं दरअसल दोनों भारत में काफी अरसे से आ रही हैं और दोनों को भारतीय संस्कृति से बेहद प्रेम है भारत से योग सीख कर उन्होंने योग का प्रचार प्रसार किया हरदोई जिले के सवायजपुर कस्बे में गन्ना कृषक महाविद्यालय में उन्होंने स्कूली बच्चों को योग करना सिखाया और साथ ही साथ योग के फायदे भी बताएं ताकि योग से बच्चों का शरीर स्वस्थ रहे और वह बच्चे भी योग का संदेश दें जिससे सभी का शरीर स्वस्थ चुस्त और तंदुरुस्त रहे करीब 2 घंटे तक योग सिखाने के बाद याना और नताशा ने बच्चों के साथ दीपावली भी मनाई और हैप्पी दिवाली कहकर बच्चों का उत्साहवर्धन के साथ हैं भारतीय परंपराओं से अपने प्रेम को जाहिर भी किया।

नताशा बताती हैं कि उन्होंने रूस में मास्को में हिंदी सीखी थी और वह हर साल भारत आती हैं भारत में उनके अच्छे दोस्त हैं यहां आकर उन्होंने योग सीखा और दीपावली के मौके पर वह इसलिए आई हैं क्योंकि त्यौहार के मौके पर रिश्तेदार और संबंधी इकट्ठे होते हैं भारत में बहुत अच्छा लगता है और वह योग बच्चों को सिखा रही हैं ताकि बच्चे योग के प्रति जागरूक हो उनका शरीर स्वस्थ और तंदुरुस्त रहे और योग को वह अपने रूस में भी लोगों को सिखाते हैं।

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याना बताती हैं कि वह 7 वर्ष की थी तब वह अपने माता-पिता के साथ मथुरा आई थी और फिर भारत में उनका कई बार आना जाना हुआ जिसके बाद उन्हें भारतीय संस्कृति से बेहद लगाव हो गया और उन्होंने भारतीय संस्कृति को ही अपना लिया भारतीय महिलाओं की तरह वह सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर रहने लगी उनके मुताबिक वह अपने घर जब वापस रूस जाती हैं तो वहां जाकर उनका मन होता है कि वह जल्द से जल्द पुनः भारत वापस लौटे साथ ही साथ वह घर में ऐसा माहौल भी बनाती हैं कि जैसे वह भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बीच ही में रह रही हों इसके लिए वह भगवान की मूर्तियां और चित्र अपने घर में लगाती हैं और उनके परिवार के लोग भी उन्हें सपोर्ट करते हैं।

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