मधुमेह रोगियों को नही पता चला बिमारियों का , स्क्रीनिग कार्यक्रम में उठे गंभीर सवाल…

आज के समय में लोगो को बहुत तेजी से अनेकों बीमारियां होती जा रही हैं। देखा जाये तो दिल्ली में 30 फीसदी मधुमेह रोगियों को उनकी बिमारियों के बारे में उनको पता नहीं चला पता हैं। वहीं लोग सही समय पर इलाज न करने के कारण उनकी मौत भी हो जाती हैं।

बतादें की यहां पिछले कुछ दिन के भीतर लगे आठ स्वास्थ्य शिविर में पहुंचे मरीजों की जांच में उनके मुधमेह से पीड़ित होने का खुलासा हुआ है। इन शिविर में पहुंचे चार हजार में से 12 सौ मरीज ऐसे मिले हैं जिनमें मधुमेह पाया गया लेकिन उन्हें अपने रोग के बारे में जानकारी नहीं थी।

 

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जहां भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ की ओर से लगाए इन स्वास्थ्य शिविर में यमुना विहार, कृष्णा नगर, जाफराबाद, झिलमिल, रिठाला, महरौली, शशी गार्डन और मंडावली के लोग पहुंचे थे। चिकित्सा प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ. अनिल गोयल के अनुसार आगामी 10 नवंबर तक छह और स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे। इनमें कैंसर की निशुल्क जांच की जाएगी।

डॉ. गोयल का कहना है कि शिविर में करीब 30 फीसदी मरीजों को उनकी बीमारी के बारे में पता नहीं था। यह काफी गंभीर और चिकित्सीय पेशे को चौंकाने वाली स्थिति है। केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों में स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वहीं इसके साथ ही जागरूकता अभियान को लेकर भी सरकारें काम कर रही हैं। फिर भी देश की राजधानी में ऐसे मरीज सामने आना कई तरह के सवाल दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सिस्टम पर खड़ा कर रहा है।

दरअसल उन्होंने यह भी बताया कि कैंसर की निशुल्क जांच के साथ ब्लड शुगर, हेमोग्राम, सीबीसी, चेस्ट एक्स रे, मेमोग्राफी, पीएसए और प्रोस्टेट टेस्ट इत्यादि की जांच की जा रही है। आमतौर पर इन मेडिकल जांच के लिए प्रति व्यक्ति पर कम से कम 7 हजार रुपये का खर्चा आ सकता है लेकिन प्रकोष्ठ की ओर से दिल्ली के लोगों को यह सुविधा निशुल्क दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिट इंडिया अभियान के तहत यह शिविर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही वह दिल्ली में कैंसर मरीजों की स्थिति भी सबके सामने लाने वाले हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा के साथ दिल्ली में भी मधुमेह रोगियों की संख्या काफी बढ़ रही है। वहीं पिछले दिनों आई नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 10 से 19 वर्ष के बीच आयु में मधुमेह टाइप 1 और 2 दोनों की मौजूदगी देखने को मिल रही है। इनमें से कितने मरीजों को अपनी बीमारी के बारे में पता है? इस तरह का आंकड़ा फिलहाल मौजूद नहीं है जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा अध्ययन भी राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए।

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