ताज स्पेशल रिपोर्टः आखिर क्यों ताज का दीदार नहीं कर पा रहे स्टूडेंट!

रिपोर्ट- नागेंद्र त्यागी

आगराः भारत सरकार विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, इसके बावजूद यहां हिंदी सीखने के लिए आने वाले विदेशी छात्र छात्राएं हर साल ताजमहल देखने से महरूम रह जाते हैं, यह हालत तब है जब संस्थान में छात्रों को हिंदी के साथ ही सांस्कृतिक स्थलों का ज्ञान व भ्रमण पर भारी-भरकम राशि खर्च करने का प्रावधान है, आखिर क्या कारण है कि ये स्टूडेंट ताज का दीदार नही कर पाते ।

संस्थान में जो विदेशी विद्यार्थी आते हैं उनमें से ज्यादातर सामान्य और गरीब परिवारों के होते हैं आने से पहले उन्हें अवगत कराया जा चुका होता है कि संस्थान में सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, लेकिन तब उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती कि ताजमहल के शहर में रहकर भी उन्हें ताजमहल देखने के लिए जेब से महंगी टिकट खरीदनी होगी।

इन्हें जो छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है उसे छात्रावास के मैस में भोजन के भुगतान पर खर्च किया जाता हैं, ऐसे में इन छात्रों के पास इतने रुपए नहीं बचते जिससे शहर में यह सैर सपाटा कर सकें, ऐसे में हर किसी की इच्छा होती है कि वो यंहा रहकर ताज का दीदार करें।

लेकिन ताजमहल में विदेशी पर्यटकों ( दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के सदस्य देशों को छोड़कर ) का प्रवेश शुल्क 1100 रुपए है, संस्थान से ताजमहल तक जाने और आने पर करीब ₹100 का अतिरिक्त खर्च और बढ़ जाता है ऐसे में टिकट खरीद कर ताजमहल देख पाना इन विदेशी विद्यार्थियों के लिए मुमकिन नहीं हो पाता है।

इस पूरे मामले में संस्थान की कुलसचिव बीना मिश्रा कहती हैं कि तमाम विदेशी विद्यार्थियों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह अपने खर्च पर ताजमहल देख पाएं, साथ ही संस्थान में ऐसा कोई प्रावधान या आदेश नहीं है, कि उन्हें ताजमहल दिखाया जाए, हालांकि संस्थान प्रबंधन की ओर से ताज के दीदार के लिए बीते वर्षों में कई बार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संबंधित अधिकारियों से पत्राचार के जरिए अनुरोध किया जा चुका है कि विदेशी विद्यार्थियों को एक बार ताजमहल मुक्त दिखाने की सुविधा दे दी जाए।

लेकिन एएसआई की ओर से इस पर कोई भी अब तक सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है, हम चाहते हैं कि अगर सरकार या एएसआई ऐसा करती है तो ये हमारे विदेशी छात्र छात्रोंओं और हमारी संस्कृति के हित में होगा।

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खूबसूरत ताजमहल को देखने के लिए देश-विदेश से सैकड़ों सैलानी आगरा का रुख करते हैं लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि आगरा में जो विदेशी छात्र छात्राएं रह रहे हैं वह चंद पैसों के अभाव में ताजमहल का दीदार नहीं कर पाते, ऐसे में जरूरत है इन छात्र छात्राओं के लिए एएसआई के एक कदम आगे बढ़ाने की, जिससे ये सभी स्टूडेंट भारतीय ऐतहासिक स्मारकों का दीदार कर सकें।

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