इस देश के राष्ट्रपति ने उड़ाया गर्भवती छात्राओं का मजाक, लगाई स्कूल जाने पर रोक

तंजानिया के राष्ट्रपतिडेडोमा। जहां पूरी दुनिया में लोगों की शिक्षा और मानवाधिकार को लेकर कई संस्थाएं सुधार कार्यो में लगी हैं. शिक्षा के लिए अलग-अलग देशों में कैम्पेन चलाये जाते है, ताकि सभी को शिक्षा का अधिकार मिल सके। लेकिन शिक्षा को लेकर तंजानिया के राष्ट्रपति की सोच कुछ और ही लगती है। राष्ट्रपति जॉन मागुफूली का मानना है कि गर्भवती छात्राओ को स्कूल में प्रवेश पर रोक लगा देनी चाहिए।

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एक रैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति जॉन मागुफूली ने कहा कि “जब तक मैं राष्ट्रपति हूँ तब तक गर्भवती छात्रों को स्कूल लौटने की इजाजत नहीं होगी। समझिए की प्रेग्नेंट होने के बाद आप खत्म हो गयी हैं।”

राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चा होने के बाद छात्राओं का पढाई में मन नहीं लगता है। जिसकी वजह से दूसरे छात्रों को परेशानियाँ होती है।

स्कूली पढ़ाई के दौरान ही गर्भवती हो जाने वाली महिलाओं का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा, ‘गणित के कुछ सवाल हल करने के बाद ऐसी लड़कियां क्लास के शिक्षक से पूछेंगी कि क्या वे अपने बच्चे को दूध पिलाने जा सकती हैं।’

खबर के मुताबिक, तंजानिया के राष्ट्रपति के इस बयान की काफी आलोचना हो रही है। मानवाधिकार संगठनों ने मागुफूली के इस फैसले को असंवैधानिक बताया है। 1960 के दशक में बने एक कानून ने तंजानिया के सभी सरकारी स्कूलों में युवा छात्राओं के मां बनने के बाद उनकी स्कूली पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक के दौरान 55,000 से ज्यादा गर्भवती लड़कियों को स्कूल से निकाला जा चुका है।

महिला संगठनों का कहना है कि यह कानून तंजानिया के लोगों की सोच से मेल नहीं खाता। साथ ही, यह कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों के खिलाफ भी बताया जा रहा है।

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