ढाई साल में पूरा हो सकता है राम मंदिर निर्माण का कार्य, लेकिन चुकानी पड़ेगी ये कीमत

नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित अयोध्या फैसला बेहद शांति पूर्ण आया सभी समुदाय के लोगों के बीच इस फैसले को लेकर खुशी देखने को मिली है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल पर भगवान राम जन्मभूमि का बताया है साथ ही मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन आवंटित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि, केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर राम मंदिर निर्माण को लेकर ट्रस्ट बनाए।

राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब इसके स्थापत्य को लेकर उत्सुकताएं जागी हैं। इसकी तैयारियां 90 के दशक यानी करीब 30 साल पहले ही आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई ने शुरू कर दी थी। उन्होंने ऐसा विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल के साथ किया। उनका दावा है कि निर्माण के लिए अगर 2000 कारीगर लगाए जाते हैं तो इसे ढाई साल में पूरा बनाया जा सकता है। निर्माण के लिए करीब 100 करोड़ रुपये के खर्च का आकलन किया गया है।

गुजरात के रहने वाले चंद्रकांत सोमपुरा का परिवार पीढ़ियों से मंदिर डिजाइन कर रहा है। उन्हीं के परिवार ने सोमनाथ मंदिर डिजाइन किया था। वहीं, लंदन में स्वामी नारायण मंदिर केवल दो साल में तैयार करवाया गया था। चंद्रकांत के मुताबिक उन्होंने छह महीने में छह किस्म के डिजाइन पर काम करते हुए राम मंदिर का नागर शैली मॉडल तैयार किया था। भारत में नागर, द्रविड़ और बैसर शैली में मंदिर का निर्माण होता है। उत्तर भारत में नागर शैली प्रसिद्ध है। मंदिर के लिए 50 फीसदी काम पूरा हो चुका है, इसके गुम्बद को अभी डिजाइन किया जा रहा है।

 

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निर्माण में नहीं होगा लोहे का इस्तेमाल

राम मंदिर के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा। इसकी वजह स्थापत्य को पत्थरों के जरिए मंदिर को मजबूती देना बताई जाती है। वहीं, भगवान राम की प्रतिमा और राम दरबार का निर्माण होगा। मुख्य मंदिर में सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और भगवान गणेश की प्रतिमाएं भी उनके इर्द-गिर्द होंगी।

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