बदल गई पहचान, बदल गया है नाम, शताब्दी और राज़धानी अब नहीं चलेंगी

ट्रेन का नाम बदलानई दिल्ली: रेल प्रशासन की फैसेलिटी से नाराज़ रहने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है.रेल विभाग अब आपकी हर नाराजगी को ख़त्म करने का हर संभव प्रयास कर रहा है.ऐसे में अब जब आप ट्रेन के सफ़र पर निकलेंगे तो हो सकता है कि आपकी ट्रेन का नाम बदला हो.

ट्रेन का नाम बदला हो तो न हों परेशान…

ट्रेन का नाम होगा  ‘कोक शताब्दी’, ‘पेप्सी राजधानी’.

आप इसे कोई नई ट्रेन का नाम समझने की भूल मत करिएगा.

दरअसल रेलवे अपनी ट्रेन और स्टेशनों को किसी ब्रैंड का नाम देकर अपना राजस्व बढ़ाने की तैयारी में जुटा है.

यह रेलवे की एक नई पहल है, जिसके जरिए वह यात्री किराया और माल भाड़ा बढ़ाए बिना अपना रेवेन्यू बढ़ाने के फ़िराक में है.

रेलवे ट्रेनों और स्टेशनों को किसी ब्रैंड का नाम देने की प्लानिंग कर रहा है.

इससे ब्रैंड का नाम उस स्टेशन या ट्रेन के आगे जुड़ जाएगा और वही उसका पैसा देगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे का यह प्रोपोजल तैयार हो चुका है और अगले हफ्ते होने वाली रेलवे बोर्ड मीटिंग में इसे अप्रूवल मिल जाएगा.

इसके तहत कोई भी ब्रैंड या कंपनी किसी ट्रेन के पूरे मीडिया राइट्स खरीद सकेगी.

और ऐसा करने से वह ब्रैंड या कंपनी उस गाड़ी के अन्दर या बहार अपने प्रोडक्ट का प्रचार,प्रसार करने के लिए पूरी तरह मुक्त होगा.

विभाग ने कहा कि रेलवे ने विज्ञापन अधिकार को एक-एक कर बेचने के प्लान को रोक दिया है और अब हम पूरी ट्रेन के मीडिया राइट्स देने को तैयार हैं.

इसके साथ ही स्टेशनों के राइट्स भी बड़े कॉर्पोरेट प्लेयर्स को दिए जाएंगे.

ट्रेन का नाम बदला है तो यात्रियों की होगी मौज…

आपको बता दें कि हालिया मीटिंग में पीएम मोदी ने बिना किराया बढ़ाए, बिना माल भाड़ा बढ़ाए दूसरे तरीकों से रेलवे का रेवन्यू बढ़ाने की बात पर जोर देते हुए विज्ञापन के जरिए रेलवे का रेवन्यू बढ़ाने को कहा था.

इस मीटिंग के बाद रेल विभाग ने तुरन्त इस पर काम करना शुरू कर दिया है.

बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार से पहले इस तरह कि पहल यूपीए सरकार भी कर चुकी है, लेकिन नतीजा शुन्य रहा.

आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए वित्तीय समस्या से जूझ रहा रेलवे को किराया न बढ़ाने को कहा गया है.

ट्रेन का नाम बदला तो सरकार का खजाना बढ़ेगा…

रेलवे ने बिना किराए मे बदलाव किए रेवन्यू को 2000 करोड़ बढ़ाने का लक्ष्य बनाया हुआ है.

पिछले वर्ष रेलवे ने अपनी 4 ट्रेनों पर विज्ञापन के लिए एक कंपनी को विज्ञापन के अधिकार दे दिए थे.

जिससे रेलवे हर साल करीब 8 करोड़ रुपए की कमाई कर रहा है.

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