झारखंड विधानसभा में जीएसटी विधेयक पारित
रांची| झारखंड विधानसभा में जीएसटी , वस्तु एवं सेवा कर विधेयक पारित हो गया। इसके साथ ही माना जा रहा है कि जीएसटी ब्रिटिशकालीन कर प्रणाली को खत्म करेगा।
इस तरह असम और बिहार के बाद विधेयक का समर्थन करने वाला यह तीसरा राज्य बन गया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के सदस्य राज कुमार यादव को छोड़कर विधेयक को राज्य विधानसभा में सभी दलों के सदस्यों ने एक स्वर से समर्थन दिया।
झारखंड विधानसभा में जीएसटी पर पार्टियों का रूख
जीएसटी विधेयक को झारखंड विधानसभा में पेश करते हुए राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा कि भारत में कर लेने की एक परंपरा और संस्कृति है। जीएसटी विधेयक कर भेदभाव और ब्रिटिशकालीन कर प्रणाली को खत्म करेगा।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) जैसी विपक्षी पार्टियों ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन विधेयक के प्रारूप और राज्य पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताई।
झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि जीएसटी विधेयक उपभोग आधारित कर है और अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड में उपभोग दर कम है। इससे राज्य को घाटा होगा।
दूसरा मुद्दा उठाते हुए यादव ने कहा कि किस आधार पर केंद्र सरकार राज्य को क्षतिपूर्ति देगी। गत तीन साल में झारखंड के राजस्व संग्रह में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। क्षतिपूर्ति का आधार वर्ष क्या होगा?
झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि क्या राज्य सरकार ने जीएसटी विधेयक के झारखंड पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया है?
इस मुद्दे पर चर्चा से पहले सरकार को राज्य पर पड़ने वाले इसके प्रभावों का एक मसौदा तैयार करना चाहिए।
राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि जीएसटी विधेयक देश में भ्रष्टाचार खत्म करेगा। साल 2005 में जब वैट लागू किया गया था तब करों की क्षति होने का डर था, लेकिन वैट से झारखंड को फायदा हुआ।
इसी तरह जीएसटी लागू होने से भी राज्य को लाभ होगा।