जानिए… कैसे आयुर्वेदिक उपचार से होगा जोड़ों का दर्द छू मंतर

जोड़ों के दर्दसदियों से आयुर्वेद को जोड़ों के दर्द का उपचार उपलब्ध कराने में शीर्ष स्थान प्राप्त है। संभवतः अन्य किसी भी उपचार पद्धति में जोड़ों से संबंधित रोगों और इनके उपचार की इतनी बेहतर पकड़ नहीं है, जितनी कि आयुर्वेद में है। भारत में पीढ़ियों से विशेष रूप से अधिक उम्र के व्यक्ति जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद का लाभ लेते रहें हैं। आज भी उम्र के दूसरे पड़ाव में जोड़ों के दर्द की शिकायत सबसे अधिक सुनने को मिलती है। वरिष्ठ नागरिकों में घुटनों का दर्द सामान्य समस्या हो गई है, हालांकि इस उम्र के लोगों में अन्य जोड़ों की समस्या भी देखी जाती है।

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युवा और वृद्धावस्था, दोनों में जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के लिए आयुर्वेद राम बाण की तरह है। भारत में जुलाई से लेकर अगस्त के अन्त तक बारिश के मौसम में जोड़ों के दर्द की समस्या और बढ़ जाती है।

जोड़ों के दर्द के कारण

जोड़ों में दर्द और सूजन उस समय होती है, जब जोड़ों के सामन्य रूप से काम करने या फिर संरचना में कोई गड़बड़ी पैदा हो जाए। जोड़ों का दर्द अनेक परिस्थितियों और कारणों से हो सकता है। इसके मुख्य कारण हैं, सूजन, संक्रमण यानी इन्फेक्शन, चोट लगना, एलर्जी और जोड़ों का सामन्य रूप से घिसना। मोटापा भी जोड़ों में दर्द के कुछ मेडिकल कारण हैं।

जोड़ों के दर्द में आयुर्वेदिक उपचार

  1. जोड़ों के दर्द में आयुर्वेदिक उपचार, समग्र रूप से रोग की जड़ पर काम करता है। इस उपचार में विभिन्न नियमों के अनुसार काम किया जाता है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
  2. दवाओं और उपवास (व्रत) की मदद से जठराग्नि प्रदीप्त करना। जब शरीर में विषाक्त तत्व जमा हो जाने के कारण व्यक्ति की भूख कम हो जाती है, तो जठराग्नि प्रदीप्त करने के लिए इस नियम का प्रयोग किया जाता है।
  3. दवाओं, जड़ी-बूटियों, पाचक पदार्थों और व्यायाम की मदद से विषाक्त तत्वों को पचाना। जोड़ों और शरीर में विषाक्त तत्वों का जमा हो जाना अक्सर जोड़ों के दर्द का मुख्य कारण होता है, इसलिए पाचन नियम से इन तत्वों को पचाने और शरीर से बाहर निकालने में मदद मिलती है। अमृता, निर्गुण्डी और शुण्ठी जैसी औषधियां शरीर के आम को पचाने में बहुत सहायक हैं।
  4. तेल मालिश, ऑयल बाथ या स्निग्ध भोजन में घी का सेवन करना, बढ़े हुए वात को कम करने के लिए बहुत प्रभावी है। तेल, घी, मज्जा और वसा जैसे तैलीय पदार्थों का सेवन जोड़ों के दर्द के उपचार में बहुत प्रभावी है।
  5. इसके अलावा जोड़ों के दर्द में पंचकर्म पद्धति जैसे स्वेदन, विरेचन, बस्ती और लेपन की सलाह भी दी जाती है।

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आयुर्वेद के नियमों का उचित प्रयोग करने, सही भोजन और जीवनशैली रखने से जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाना संभव है। जोड़ों के दर्द को रोकने, सही देखभाल और उपचार के लिए आयुर्वेद सर्वश्रेष्ठ उपचार पद्धतियों में से एक है।

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