
नई दिल्ली| जॉनसन एंड जॉनसन (जे एंड जे) द्वारा दोषपूर्ण हिप प्रत्यारोपण के पीड़ित मरीजों के एक समूह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को पत्र लिखकर सरकार द्वारा स्वीकृत मुआवजे के फॉर्मूले को खारिज करते हुए कहा है कि इस पर संबंधित व पीड़ित लोगों से परामर्श नहीं लिया गया है।
आईएएनएस ने एक कॉपी के हवाले से बताया, जिसमें हप इंप्लांट पेशेंट्स सपोर्ट ग्रुप ने एक बयान में कहा है, “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि कई बार किए गए अनुरोधों के बावजूद मुआवजे की प्रक्रिया या प्रभावित रोगियों या नागरिक समाज समूहों के साथ मुआवजे की मात्रा पर परामर्श नहीं हुआ है।”
यह पत्र स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर ऐसे मरीजों के लिए 30 लाख रुपये और 1.23 करोड़ रुपये के बीच क्षतिपूर्ति की मंजूरी मिलने के एक सप्ताह बाद लिखा गया है।
पत्र के अनुसार, “हमने बार-बार कहा है कि मुआवजे को पूरा करने के लिए सौंपी गई समितियों की कार्यवाही में पारदर्शिता और मुआवजे तंत्र का कार्यान्वयन उच्च स्तर का है। लेकिन कई सालों से हो रहे अन्याय को जोड़ते हुए मरीजों को दरकिनार किया गया है और मरीजों की क्षतिपूर्ति के लिए सरकार के नेतृत्व वाली प्रक्रियाओं में भी प्रेक्षकों को कम किया गया है।”
‘अब देशी नहीं विदेशी’ इंजीनियर सुलझाएंगे दिल्ली मेट्रो में बार-बार आ रही खराबी
बता दें कि यह मामला जे एंड जे द्वारा हिप प्रत्यारोपण में घटिया सामग्री बेचने से जुड़ा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित समिति की जांच के बाद यह बात सामने आई थी।
वर्ष 2010 में जे एंड जे ने वैश्विक स्तर पर मरीजों का दोबारा हिप प्रत्यारोपण करवाया था, क्योंकि अधिकतर रोगियों में संशोधन सर्जरी की आवश्यकता महसूस हुई थी, जिसका कारण इससे पहले हुए प्रत्यारोपण में इस्तेमाल खराब उपकरण बताए गए थे।